आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के मनोविज्ञान विभाग ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एक भव्य और जागरूकता-पूर्ण समारोह का आयोजन किया. इस वर्ष की थीम 'कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य' पर केंद्रित थी, जो इस महत्वपूर्ण विषय पर समाज और विशेष रूप से युवाओं के बीच चर्चा को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करती है.
समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद शकील ने सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन, प्रोफेसर एम मुस्लिम खान, छात्र कल्याण के डीन, प्रोफेसर सिमी एफ बशीर, रजिस्ट्रार एम नसीम हैदर, वित्त अधिकारी शेख सफीउल्लाह और अन्य प्रमुख अधिकारियों और संकाय सदस्यों की उपस्थिति में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता मार्च को हरी झंडी दिखाकर की. मार्च का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता फैलाना था, जो अक्सर कलंक और झिझक से घिरे होते हैं.
इस वर्ष की थीम 'कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य' पर विशेष जोर दिया गया, जिसमें कर्मचारियों, छात्रों और प्रशासनिक अधिकारियों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. मार्च का आयोजन विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ब्लॉक के सामने से शुरू हुआ, और यह विश्वविद्यालय के सभी प्रमुख संकायों और संस्थानों से होते हुए मुख्य परिसर में जाकर समाप्त हुआ.
कुलपति का प्रेरणादायक संबोधन
कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद शकील ने अपने संबोधन में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को बिना किसी कलंक या झिझक के सामने लाया जाना चाहिए. इसके साथ ही, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के विषय में जानकारी और मदद प्राप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.
उन्होंने मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख, प्रोफेसर शीमा अलीम, संकाय सदस्यों और छात्रों को इस आयोजन की पहल के लिए बधाई दी और भविष्य में भी इसी तरह के जागरूकता अभियानों की सफलता की शुभकामनाएं दीं.
प्रोफेसर शकील ने कहा, "आज के समय में, मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर मुद्दा बन गया है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हम सभी को इसे समझने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है. यह जागरूकता मार्च न केवल इस मुद्दे को उजागर करने का प्रयास है, बल्कि यह संदेश देने का एक माध्यम भी है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद लेना किसी भी व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है."
मार्च और नुक्कड़ नाटक
जागरूकता मार्च का नेतृत्व करते हुए, सभी प्रतिभागी मानसिक स्वास्थ्य के समर्थन और इसके महत्व को बढ़ावा देने के लिए पूरे परिसर में घूमे. इस मार्च का उद्देश्य छात्रों, कर्मचारियों और प्रशासनिक अधिकारियों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना था.
मार्च के समापन पर, एक भावनात्मक और शिक्षाप्रद नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का सामना कर रहे लोगों की समस्याओं और उनके प्रति समाज के नजरिए पर सवाल उठाया गया. इस नाटक ने विशेष रूप से यह संदेश दिया कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद मांगने में कोई शर्मिंदगी नहीं होनी चाहिए.
इंटरैक्टिव गतिविधियाँ और प्रतियोगिताएँ
मार्च और नुक्कड़ नाटक के बाद, छात्रों ने कई मजेदार और इंटरैक्टिव गतिविधियों में भाग लिया. इन गतिविधियों का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा को खुलकर और रोचक तरीके से बढ़ावा देना था. दिन की थीम पर आधारित 'इदराक' नामक एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. प्रतियोगिता में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई सवालों पर चर्चा की गई, और यह छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक शानदार अवसर साबित हुआ.
फिल्म स्क्रीनिंग और समापन समारोह
दिन के अंत में, एक विशेष फिल्म स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के महत्व को दर्शाया गया. इस फिल्म के माध्यम से, प्रतिभागियों को यह संदेश दिया गया कि मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोगों की सहायता कैसे की जा सकती है और समाज में इस मुद्दे पर कैसे सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है. फिल्म ने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज की संवेदनशीलता को बढ़ावा देने का काम किया और प्रतिभागियों के मन में जागरूकता के बीज बोए.
इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख प्रोफेसर शीमा अलीम के नेतृत्व में किया गया था। उन्होंने इस आयोजन की सफलता के लिए संकाय सदस्यों और छात्रों को धन्यवाद दिया और भविष्य में भी इस प्रकार के जागरूकता अभियानों की आवश्यकता पर जोर दिया.
विश्वविद्यालय का योगदान और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता
जामिया मिलिया इस्लामिया ने इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है, बल्कि सामाजिक मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील विषयों पर भी जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है. विश्वविद्यालय के इस पहल ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि मानसिक स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता और समर्थन कैसे प्रदान किया जा सकता है.
विश्वविद्यालय का यह आयोजन उन लोगों के लिए एक प्रेरणा साबित हुआ, जो मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जूझ रहे हैं, और यह संदेश दिया कि सही समय पर मदद लेना ही मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है.