पाकिस्तान के सिंध से भारत के राजपूतों तक: सतरंगी चारपाईयों की धूम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-06-2024
पाकिस्तान के सिंध में बनी रंगीन चारपाईयों की धमक भारत के राजूतों तक
पाकिस्तान के सिंध में बनी रंगीन चारपाईयों की धमक भारत के राजूतों तक

 

खालिद कुम्हार

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के संघर जिले के उस्मान राजार गांव में बनने वाली रंगीन चारपाईयांे की धमक भारत तक पहुंच गई है. इस  गांव के 50 वर्षीय हाजी राजार चारपाई बुनकर विशेषज्ञ हैं, जिनके हाथ से बनी चारपाई का उपयोग न केवल पाकिस्तान भर में, बल्कि सीमा पार कर भारत में भी किया जाता है.

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति फारूक लघारी के गेस्ट हाउस में भी उनके हाथों से बनाई गई छह चारपाई मौजूद हैं.हाजी राजार ने बताया कि वह पिछले 30 वर्षों से चारपाई बुनने का काम कर रहे हैं. वर्तमान में उनके 12 शागिर्द पूरे सिंध में यह काम कर रहे हैं.


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उन्होंने बताया कि एक अच्छी खाट बुनने में एक महीने से ज्यादा का समय लग जाता है. यह काम बहुत सावधानी से करना होगा.हाजी राजार सतरंगी चारपाई बुनने के लिए शीशम की रस्सी का इस्तेमाल करते हैं, जिसे उन्हें पंजाब से खरीदना पड़ता है. यह डोरी 15 से अधिक रंगों में उपलब्ध है. इसकी कीमत 800 रुपये प्रति किलोग्राम है.

उन्होंने कहा कि चाहे आप इसे गर्मी में रखें या बारिश में, न तो यह डोर खराब होगी और न ही इसके रंग बदरंग होंगे.हाजी रजार के मुताबिक, वह अपने काम के दौरान रंगों के सामंजस्य का ख्याल रखते हैं . इसके लिए वह इंटरनेट की भी मदद लेते हैं.

उन्होंने कहा कि हमारी महिलाएं भी हमारे काम में हाथ बंटाती हैं. कई बार एक चारपाई पर एक लाख से भी ज्यादा खर्च हो जाता है.एक चारपाई आमतौर पर एक से दो हजार रुपये में बुनी जाती है, लेकिन हाजी राजार के डिजाइन के कारण इसे 25 हजार से दो लाख रुपये तक में बुना जा सकता है.

उनके हाथों से बने चारपाई अक्सर बेटियों को दहेज के रूप में दिए जाते हैं और गेस्ट हाउस में भी सजाए जाते हैं. थार रेगिस्तान में रहने वाले हिंदू राजपूत यह चारपाईयां अपनी बेटियों को दहेज के रूप में देते हैं, जो भारत तक जा पहुंची हैं.


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हाजी कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में सबसे अच्छा बिस्तर भारत में बनाया था, जिसमें उन्होंने कांच के टुकड़ों का इस्तेमाल किया था.

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • पाकिस्तान के सिंध प्रांत के उस्मान राजार गांव में बनने वाली रंगीन चारपाईयां भारत तक पहुंच गई हैं.
  • 50 वर्षीय हाजी राजार चारपाई बुनने के विशेषज्ञ हैं, जिनके हाथ से बनी चारपाई का उपयोग पाकिस्तान और भारत में किया जाता है.
  • हाजी राजार पिछले 30 वर्षों से चारपाई बुनने का काम कर रहे हैं.
  • वे शीशम की रस्सी का उपयोग करते हैं, जो 15 रंगों में उपलब्ध है और 800 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर मिलती है.
  • हाजी राजार रंगों के सामंजस्य का ख्याल रखते हैं और इंटरनेट से भी मदद लेते हैं.
  • महिलाएं भी उनके काम में हाथ बंटाती हैं.
  • एक चारपाई आमतौर पर 1-2 हजार रुपये में बुनी जाती है, लेकिन हाजी राजार के डिजाइन के कारण इसे 25 हजार से 2 लाख रुपये तक में बुना जा सकता है.
  • इन चारपाईयों का उपयोग दहेज और सजावट के लिए किया जाता है.
  • हाजी ने भारत में कांच के टुकड़ों से बनी सबसे अच्छी खाट बनाई थी.