सौहार्द की मिसाल: जमीलउद्दीन,रुस्तम,रमजान, हाशिम की कलाई पर पुष्पा, छवि और विमलेश ने सजाई राखी
फैजान खान /आगरा
हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की यही तो खूबसूरती है कि तमाम साजिशों के बावजूद इसकी मजबूत दीवार टूटती ही नहीं. आम दिनों की तरह रक्षाबंधन पर भी भाईचारा देखने को मिला. इस त्योहार पर हिंदू बहनें अपने मुस्लिम भाई के घर राखी बांधने पहुंच गईं या मुस्लि अपनी हिंदू बहनों के यहां राखी बंधवाने पहुंचे. यूं तो रक्षा बंधन पर ऐसे नजारे हिंदुस्तान भर में आम हैं, पर इससे ताजनगरी आगरा भी अछूता नहीं रहा.
शोबिया इंटर कॉलेज के मैनेजर हाजी जमीलउद्दीन कुरैशी को सगीर फातिमा गर्ल्स इंटर कॉलेज की शिक्षिका पुष्पा यादव ने राखी बांधी. हाजी जमील ने कहा कि यही हमारे मुल्क और आगरा की खूबसूरती है, जो आपको एक दूसरे को बांधे रखता है. पुष्पा यादव ने हाजी जमीलउद्दीन को राखी बांधते हुए कहा कि ये हम भाई-बहनों का प्यार है.
स्कूल में हमेशा से भाई-बहन जैसा माहौल रहता है. मुझे बेहद खुशी है, जहां लोग सांप्रदायिकता की बातें करते हैं, ऐसे में हम भाई-बहन सौहार्द की मिसालें पेश कर रहे हैं. त्योहार में मजहब की दीवारें टूट जाती हैं.
सदरभट्टी के सगीर फातिमा में तैनात रुस्तम को छवि रानी चाहर ने राखी बांधी. छविरानी चाहर ने कहा कि यह ऐसा त्योहार है जिसमें मजहब की दीवारें टूट जाती हैं. रुस्तम भैया मेरे भाई हैं, जिन्हें मैं राखी बांधती रही हूं.
वहीं ईदगाह कटघर स्थित कब्रिस्तान में बनी अलहाज रमजान अली साबरी की दरगाह के खलीफा रमजान खान साबरी को भी कई हिंदू बहनें राखने पहुंचीं. उन्हें विमलेश ने राखी बांधी. राखी बांधने के बाद विमलेश बोली, इस रिश्ते को आप किसी बंधन में नहीं बांध सकते.
मैं हमेशा से रमजान भाई को राखी बांधती आई हूं. इसमें धर्म कहां से आ गया. ये तो भाई-बहन के प्रेम का त्योहार है. त्योहारों को हिंदू-मुस्लम का नाम मत दो, ये तो इंसानियत के त्योहार है.
खलीफ रमजान खान ने कहा कि कुछ लोगों की वजह से पूरे मुल्म में हिंदू-मुस्लिम जैसे बात आ गई है. अब से कुछ साल पीछे देखेंगे तो कोई जाति- मजहब जानता तक नहीं था.
शहरों में कम दिखती थी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदू-मुस्लिम समुदाय रक्षा बंधन को बहुत ही शानदार तरीके से मनाते हैं. हम भुजरिया लेने के लिए हिंदू बहनों के घर जाते हैं और वे हमें भुजरियां देतीं तो हम उन्हें पैसे देते थे. मैं फिरकापरस्त बातों को नहीं मानता और न ही इसका समर्थक हूं.
विमलेश ने हाशिम को भी राखी बांधी. हाशिम ने कहा कि यह तो दो समुदाय में सद्भावना को बढ़ाने वाला त्योहार है. इसे हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखोगे तो परेशानी होगी.
रक्षा बंधन पर हम तो पिछले कई सालों से राखी बंधवाते आ रहे हैं. न कभी हमारे घर वालों ने एतराज किया और न ही पड़ोसियों ने. मैं विमलेश बहन की बहुत इज्जत करता हूं. जरूरत पड़ने पर मदद के लिए आगे भी रहता हूं.