बटर चिकन के 'आविष्कार' की लड़ाई पहुंची पाकिस्तान, पेशावर के लोगों ने किया बड़ा खुलासा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 12-09-2024
Battle for butter chicken
Battle for butter chicken

 

इस्लामाबाद. दिल्ली के दो रेस्टोरेंट्स के बीच बटर चिकन के 'आविष्कार' को लेकर लड़ी जा रही 'जंग' की लपटें पाकिस्तान तक पहुंच गई हैं. पेशावर के पुराने निवासियों को अपने शहर के मोती महल रेस्तरां की याद तो है, लेकिन उन्हें पुख्ता तौर पर पता नहीं कि बटर चिकन मेन्यू में शामिल था या नहीं.

बटर चिकन के स्वामित्व को लेकर मोती महल और दरियागंज नाम की दो रेस्टोरेंट चेन कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं. दोनों रेस्टोरेंट चेन, विभाजन के बाद दिल्ली में पूर्व साझेदार कुंदन लाल गुजराल और कुंदन लाल जग्गी द्वारा स्थापित की गई थीं. अब इनके वंशज इन रेस्टोरेंट्स को चला रहे हैं.

जियो न्यूज के अनुसार, यह कहानी 20वीं सदी की शुरुआत में पेशावर के कैंटोनमेंट क्षेत्र से आरंभ हुई. यहां मोती महल रेस्टोरेंट टीपू सुल्तान रोड के पास फव्वारा चौक पर एक इमारत की पहली मंजिल पर स्थित था.

इस रेस्टोरेंट की स्थापना के बारे में दो अलग-अलग कहानियां है. एक के अनुसार, दिल्ली में मोती महल के संस्थापक कुंदन लाल गुजराल ने 1920 में इसकी स्थापना की थी. वहीं, यह भी कहा जाता है कि इस रेस्टोरेंट मालिकाना हक सिख व्यवसायी मोका सिंह लांबा पास था. जग्गी ने बाद में यहां काम किया.

पेशावर के पुराने निवासी मुश्ताक खान ने जियो टीवी को बताया कि अपने सुनहरे दिनों में यह रेस्टोरेंट अपनी सुगंधित चाय, कुरकुरे-पकौड़ों, पनीर के व्यंजनों और तीखे दही आधारित स्नैक्स के लिए जाना जाता था, हालांकि यह थोड़ा महंगा था और ज्यादातर अमीर लोग यहां आते थे,जिनमें ब्रिटिश अधिकारी भी शामिल थे.

स्टोरेंट का रसोईघर ग्राउंड फ्लोर पर स्थित था. अब इस जगह पर पेशावर के एक पुराने निवासी इकबाल आरिफ की कपड़ों की दुकान है. उन्होंने बताया कि अपने समय में, मोती महल रेस्तरां की ऊपरी मंजिल पर एक पारंपरिक तंदूर था, जहां पेशावरी नान तैयार किया जाता था और तंदूरी चिकन को बारबेक्यू किया जाता था.

आरिफ ने जियो को बताया कि 1980 के दशक में उन्होंने सुना था कि गुजराल पेशावर आए थे और "कपड़े की दुकान के सामने एक पेड़ के सहारे बैठे कर सुबक-सुबक कर रो रहे थे. वह अपने पुराने रेस्टोरेंट के बारे में सोच रहे थे, हालांकि उन्हें यह जानकर तसल्ली हुई थी कि उनका रेस्टोरेंट और उसके स्वादिष्ट व्यंजन की याद लोगों ने अब भी संजोकर रखी है.'

वहीं, बिजनेसमैन शाहिद खान ने जियो को बताया कि उन्होंने बटर चिकन के सिलसिले में गुजराल का नाम कभी नहीं सुना, लेकिन अब अदालती मामले के कारण इस मुद्दे पर अक्सर चर्चा हो रही है.

सदर बाजार के बुजुर्ग व्यापारी चौधरी अब्दुल गफूर के मुताबिक पेशावर के मोती महल के मेन्यू में बटर चिकन कहीं नहीं था. उन्होंने कहा कि गुजराल ने दिल्ली आने के बाद इस मशहूर रेसिपी का आविष्कार किया.

जियो ने जब वादियों से संपर्क किया, तो गुजराल के वंशजों ने जोर देकर कहा कि बटर चिकन को पेशावर में उनके द्वारा विकसित किया गया था. वहीं जग्गी के पोते का तर्क है कि उनके दादा ने विभाजन के बाद दिल्ली में इस व्यंजन को इजाद किया, हालांकि यह पेशावर में सीखी गई पाक कला पर आधारित था. 

 

ये भी पढ़ें :   अजमेर शरीफ दरगाह में प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर तैयार होगा 4000 किलो शाकाहारी लंगर
ये भी पढ़ें :   ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ का जुलूस गणेश विसर्जन के बाद
ये भी पढ़ें :   जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी का नया राजनीतिक दांव, निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन
ये भी पढ़ें :   हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर देसी-विदेशी विद्वानों और लेखकों का क्या है नजरिया ?
ये भी पढ़ें :   बॉलीवुड के मुस्लिम सेलिब्रिटीज 'ऐसे' मना रहे है गणेशोत्सव
ये भी पढ़ें :   अमेरिका के प्रतिष्ठित फुलब्राइट कार्यक्रम के लिए कश्मीर के शिक्षक तजामुल नसीम लोन का चयन
ये भी पढ़ें :   पूर्व गृह मंत्री सुशील शिंदे का बयान कांग्रेस पर पड़ा भारी, खोल दी कश्मीर में बुरे दौर की असलियत