Anjuman Tarakki Urdu Hind's four-day celebration on Mir Taqi Mir: SK Srivastava said, the poet looks towards the future after getting light from the past:
मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
मीर की शायरी और उनकी जीवनी में जो तथ्य मिलते हैं, वे शुद्ध इतिहास की किताबों में नहीं मिल सकते. 18वीं और 19वीं सदी के इतिहास को दो शायरों मीर तकी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब ने देखा और अपने रूपकों के माध्यम से अपनी काव्य पूंजी और गद्य लेखन में आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत कुछ बचाया, जिसे लिखना उस काल के इतिहासकार के लिए संभव नहीं था.
इतिहासकार की दृष्टि घटनाओं पर होती है और कवि अतीत से प्रकाश पाकर भविष्य की ओर देखता है, यही भविष्यवक्ताओं का काम है. ये बातें इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक एस के श्रीवास्तव ने मीर तकी मीर की 300वीं वर्षगांठ के अवसर पर अंजुमन तरक्की उर्दू (हिन्द) द्वारा आयोजित चार दिवसीय समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कही.
एस के श्रीवास्तव ने उम्मीद जताई कि मीर की शायरी को व्यापक मान्यता मिलेगी और हमारे इतिहासकार कई नए तथ्य खोजने में सक्षम होंगे, खासकर तब जब इस समाज को बेहतर ढंग से समझने के लिए मीर की आत्मकथा 'ज़िक्र-ए-मीर' का पूरा पाठ पहली बार उपलब्ध है.
अंजुमन तरक्की उर्दू (हिंद) अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ा रही है
इससे पहले, उद्घाटन में बोलते हुए, सैयद सैफ महमूद ने कहा कि यह खुशी की बात है कि अंजुमन तरक्की उर्दू (हिंद) अपने उन उद्देश्यों को आगे बढ़ा रही है जो इसकी स्थापना के समय इसके संस्थापकों के दिमाग में थे.
भाषा को विकसित करने और उसके साहित्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ उसकी संस्कृति का व्यापक दायरे में फैलाने के लिए नए रास्ते खोजना. यह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर का किसी भी उर्दू संस्थान के साथ पहला कार्यक्रम है जिसके लिए उसने अंजुमन के साथ साझेदारी की है.
बात शाहजहांनाबाद की
वहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास विभाग से जुड़ी रहीं प्रो. नारायणी गुप्ता ने शहर-ए-मीर विषय पर भाषण दिया और अहद दर अहद सार्थक चर्चा की.
दिल्ली का इतिहास, विशेषकर शाहजहांनाबाद के बारे में उन्होंने बताया कि कैसे मुगल शासन के दौरान दिल्ली के अंदर जबान, रहन सहन थी जिसकी झलक आज भी कुछ जगहों पर देखने को मिलती है कि शाहजहानाबाद अपनी संस्कृति और भाषा के मामले में दुनिया का एक प्रमुख शहर है.
विभाजन के दौरान अंजुमन को पाकिस्तान में स्थानांतरित होने से रोका
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि उन्हें अपने दादा डॉ. जाकिर हुसैन और अंजुमन के रिश्ते पर गर्व है, जो जाकिर साहब के जीवन के अंतिम क्षणों तक कायम रहा.
इस अवसर पर उन्होंने अंजुमन तरक्की उर्दू के दूसरे संरक्षक मौलाना आजाद को भी याद किया, जिनकी मदद से जाकिर साहब ने भारत के विभाजन के दौरान अंजुमन को पाकिस्तान में स्थानांतरित होने से रोका था, जैसे वह पाकिस्तान की स्थापना को रोकना चाहते थे.
उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि अंजुमन तरक्की उर्दू (हिन्द) भी अब अन्य उन भाषाओं के महत्वपूर्ण संस्थानों की तरह नई तकनीक का उपयोग करके दुनिया के दूर-दराज के इलाकों में उर्दू प्रेमियों तक पहुंच रही है.
दिल्ली के इतिहास पर उर्दू और फ़ारसी पुस्तकों के अंग्रेजी ....
इंडिया इंटरनेशनल के अध्यक्ष और पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के इतिहास पर अभूतपूर्व मात्रा में विद्वानों का काम इस बात का प्रमाण है कि शहर इतिहासकारों के लिए कितना उपजाऊ है.
उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के इतिहास पर उर्दू और फ़ारसी पुस्तकों के अंग्रेजी अनुवादों को ऐसे समय में बहुत स्वागत योग्य बताया जब उर्दू स्रोतों तक पहुंच कम हो गई है क्योंकि इतिहासकार उर्दू नहीं जानते हैं. उन्होंने कहा कि अंजुमन तरक्की उर्दू (हिंद) को दिल्ली की किताबों का अन्य भाषाओं में अनुवाद करने के प्रोजेक्ट पर काम करना चाहिए.
मास्टर रामचन्द्र के प्रपौत्र रिचर्ड मॉरिस, जो पुरानी दिल्ली कॉलेज में अनुवाद विभाग से जुड़े थे, ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
ऑनलाइन के माध्यम से उर्दू पुस्तकों.....
अंजुमन के अध्यक्ष प्रोफेसर सिद्दीक उर रहमान किदवई ने अपने भाषण में कहा कि अंजुमन भारत की पहली संस्था है जिसने न केवल अपनी लाइब्रेरी को डिजिटल बनाया है, बल्कि अमेजन जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुनिया भर में उर्दू किताबें भी उपलब्ध कराई हैं. वर्तमान में, अंजुमन तरक्की उर्दू (हिंद) ऑनलाइन के माध्यम से उर्दू पुस्तकों का सबसे बड़ा विक्रेता है.
एसोसिएशन उर्दू भाषा और साहित्य के विकास के लिए लगातार प्रयासरत
अध्यक्षीय भाषण में एनएन वोहरा ने कहा कि मीर के तीसरे शताब्दी समारोह के लिए इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और अंजुमन के बीच यह सहयोग बहुत अच्छा है. पिछले साठ वर्षों में दिल्ली प्रवास के दौरान हुए बदलावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली का खमीर भारत के किसी भी अन्य शहर से कई मायनों में अलग है.
एसोसिएशन के सचिव अतहर फारूकी ने कहा कि एसोसिएशन उर्दू भाषा और साहित्य के विकास के लिए लगातार प्रयासरत है. आधुनिक तकनीक के माध्यम से उर्दू को बढ़ावा देना और इसे आम लोगों तक पहुंचाना एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य है.
मौके पर उसके बाद मीर की आत्मकथा "ज़िक्र-ए-मीर" का विमोचन किया गया जिसका उर्दू अनुवाद प्रो. निसार अहमद फ़ारूक़ी ने किया. कार्यक्रम का संचालन सैयद महमूद ने किया.