क़िस्सागोई के साथ अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद की चार दिवसीय मीर तक़ी मीर की 300वीं सालगिरह संपन्न

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 20-02-2024
Anjuman Taraki Urdu Hind's four-day 300th birth anniversary of Mir Taqi Mir concludes with storytelling
Anjuman Taraki Urdu Hind's four-day 300th birth anniversary of Mir Taqi Mir concludes with storytelling

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम "शहंशाह ए सुखन मीर तक़ी मीर" की 300वीं सालगिरह का समापन क़िस्सागोई के साथ हुआ. महमूद फारूकी और दारेन शाहिदी ने "दास्तान ए मीर" पेश किया, जो मीर तक़ी मीर के जीवन और कार्यों पर आधारित था. कार्यक्रम के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक, उर्दू प्रेमियों ने मीर तक़ी मीर के प्रति अपना प्रेम और सम्मान व्यक्त किया.

आखिरी दिन के कार्यक्रम में भारत विभाजन के बाद शाहजहानाबाद में उत्पन्न स्थिति पर चर्चा हुई और शाहजहानाबाद के आसपास के महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख किया गया.।
 
विभाजन का गहरा प्रभाव:

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर असीम सिद्दीकी ने कहा कि भारत के विभाजन का शाहजहानाबाद पर गहरा प्रभाव पड़ा. जो शहर कभी लोगों की खुशहाली से आबाद रहता था, वह सालों तक वीरान रहा. इसकी चमक फीकी पड़ गई और समय के साथ शाहजहानाबाद एक नई सुबह के साथ दुनिया के सामने आया.
 
उन्होंने उर्दू और अंग्रेजी के कई उपन्यासों का उल्लेख किया जिनमें भारत के विभाजन के बाद की स्थिति पर चर्चा की गई है.अंबेडकर यूनिवर्सिटी की डॉ. रचना मेहरा ने बड़े पर्दे पर शाहजहानाबाद की महत्वपूर्ण इमारतों और स्थानों का इतिहास और वर्तमान स्थिति दिखाई.
 
उरुशी बटालिया ने 70 के दशक में शाहजहानाबाद के समाज पर प्रकाश डाला, खासकर भारत के विभाजन के बाद उन्होंने शाहजहानाबाद में महिलाओं की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की.
 
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"आलम के लोगों का है तस्वीर का सा आलम":

डॉ. स्वप्ना लिडल ने ब्रिटिश काल की कई पुस्तकों का उल्लेख किया जिसमें शाहजहानाबाद की जनसंख्या और सामाजिक शैली का उल्लेख "आलम के लोगों का है तस्वीर का सा आलम" शीर्षक के तहत किया गया.
 
उन्होंने मास्टर रामचन्द्र की आत्मकथा का भी उल्लेख किया। विलियम डेलरिम्पल ने लाल किले के साथ ब्रिटिश अधिकारियों के संबंधों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने पुरानी तस्वीरों के माध्यम से ब्रिटिश अधिकारियों और लाल किले में आयोजित समारोहों के बारे में बताया.
 
अंग्रेजों ने लाल किले के अंदर कई इमारतों को हटा दिया था:

निशा शेखर मुखर्जी ने 1857 से 1947 के दौरान लाल किले की स्थिति और स्थिति के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने लाल किले के अंदर कई इमारतों को हटा दिया था, जिसके कारण लाल किले में कई बदलाव हुए.
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"दिल्ली का बदलता हुआ दस्तरखान":

तीसरे सत्र का शीर्षक "दिल्ली का बदलता हुआ दस्तरखान" था, जिसमें दिल्ली के व्यंजनों पर चर्चा की गई. इस सत्र की मेजबानी सदफ़ हुसैन ने की और वीर सांघवी वक्ता के रूप में शामिल हुए. वीर सांघवी ने बिरयानी की जन्मस्थली शाहजहानाबाद को बताया.
 
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जिक्र ए मीर पर क़िस्सागोई:

चार दिवसीय समारोह के समापन पर महमूद फ़ारूक़ी और दारेन शाहिदी ने जिक्र ए मीर पर क़िस्सागोई पेश की। मौके पर मौजूद सैकड़ों प्रशंसकों ने इसे खूब सराहा.अंजुमन के महासचिव डॉ. अतहर फारूकी ने सभी अतिथियों एवं उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया