नई दिल्ली. लेखक दिलीप मंडल नेएक महत्वपूर्ण विवाद को हवा दे दी है. उन्होंने दावा किया कि भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका के रूप में व्यापक रूप से प्रशंसित फातिमा शेख एक काल्पनिक चरित्र है, जिसे उन्होंने गढ़ा है.
ट्वीट की एक श्रृंखला में, मंडल ने दावा किया कि समाज सुधारक और भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की सहयोगी शेख एक ‘काल्पनिक चरित्र’ है, जिसे उन्होंने अतीत में आगे बढ़ाया था. उन्होंने लिखा, ‘‘मुझे माफ करें. फातिमा शेख कोई चरित्र नहीं थी. वह कोई ऐतिहासिक चरित्र नहीं है. वह मेरी रचना है. मेरा काम है. यह मेरा अपराध या गलती है कि मैंने यह नाम शून्य से, हवा से, एक विशेष समय में बनाया.’’
मुझे माफ़ कीजिए। दरअसल फ़ातिमा शेख कोई थी ही नहीं। यह ऐतिहासिक चरित्र नहीं है। ये मेरी निर्मिती है। मेरा कारनामा।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) January 9, 2025
ये मेरा अपराध या गलती है कि मैंने एक ख़ास दौर में शून्य से यानी हवा से इस नाम को खड़ा किया था।
इसके लिए किसी को कोसना है तो मुझे कोसिए। आंबेडकरवादी वर्षों से इस…
एक अन्य पोस्ट में, मंडल ने आगे दावा किया कि चरित्र बनाने से पहले किसी भी लेख, पुस्तक या गूगल खोज में फातिमा शेख का कोई संदर्भ नहीं था. उन्होंने कहा, ‘‘सशक्तीकरण के प्रतीक के रूप में उन्हें बढ़ावा देने के प्रयासों के कारण शुरू में मेरी रचना ने जोर पकड़ लिया था.’’
मंडल ने जुलाई 2019में द प्रिंट में प्रकाशित एक लेख के लिए फातिमा शेख के बारे में लिखा था, जिसका शीर्षक था ‘इतिहास फातिमा शेख को क्यों भूल गया?’ लेख में लेखक ने शेख को एक महान प्रभावशाली व्यक्ति और शिक्षक के रूप में चित्रित किया है, जो समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ आगे बढ़े.
हालांकि, मंडल के हालिया बयान के बाद, द प्रिंट ने कथित तौर पर लेख को हटा दिया है और जांच की घोषणा की है. प्रकाशन ने लिखा, ‘‘द प्रिंट ने एक्स पर दिलीप मंडल की पोस्ट पर ध्यान दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि उन्होंने फातिमा शेख नामक एक ‘ऐतिहासिक’ व्यक्तित्व का निर्माण किया है. हम इस मामले की जांच करते हुए इस लेख को वापस ले रहे हैं.’’