विश्व मुस्लिम लीग प्रमुख Dr. Al-Issa ने कहा, ‘ भारतीय ज्ञान ' ने मानवता के लिए बहुत कुछ किया

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 11-07-2023
विश्व मुस्लिम लीग प्रमुख डॉ. अल-इस्सा ने कहा ‘‘भारतीय ज्ञान ने मानवता के लिए बहुत कुछ किया’’
विश्व मुस्लिम लीग प्रमुख डॉ. अल-इस्सा ने कहा ‘‘भारतीय ज्ञान ने मानवता के लिए बहुत कुछ किया’’

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

उदारवादी इस्लाम का प्रमुख चेहरा तथा सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा ने कहा कि भारतीय ज्ञान ने मानवता के लिए बहुत कुछ किया है. भारत पूरे विश्व के लिए सह-अस्तित्व का एक महान मॉडल है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी विविधता के साथ, ‘सह-अस्तित्व के लिए एक महान मॉडल’ है.

डॉ. अल-इस्सा नई दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर के बीएस अब्दुर रहमान ऑडिटोरियम में आयोजित ‘पीस कान्फ्रेंस’ को संबोधित कर रहे थे, जिसका खुसरो फाउंडेशन ने आयोजन किया है. इस मौके पर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भी अपने विचार रखे. एनएसए अजीत डोभाल के विशिष्ट स्नेह निमंत्रण स्वीकार करके डॉ. अल-इस्सा भारत में एक सप्ताह के दौरे पर आए हैं.

सम्मेलन में शिया मसलक के प्रमुख आमिल कल्बे जव्वाद, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर, नसीरुद्दीन चिश्ती, सलमान चिश्ती साहित विभिन्न धर्मों के गुरू, उलेमा, प्रतिष्ठित कारोबारी, राजनेता और ब्यूरोक्रेट आदि मौजूद रहे.

 


ये भी पढ़ें : Al-Issa's Arafat sermon: इस्लाम के मूल्य सद्भाव बढ़ाते हैं, नफरत और विभाजन से बचें


 

मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा ने पीस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम भारत के इतिहास और विविधता की सराहना करते हैं.’’ उन्होंने कहा कि संस्कृतियों के बीच संवाद स्थापित करना समय की मांग है. उन्हांेने कहा कि मुस्लिम वर्ल्ड लीग विविधता संस्कृतियों के बीच अच्छे संबंधों को बढ़ावा देती है.

उन्होंने समाज में बात-बेबात बढ़ते संघर्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि विविधता और एकता ही आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता है. उन्होंने कहा कि सहिष्णुता को जीवन का हिस्सा बनाने की जरूरत है. मुस्लिम वर्ल्ड लीग का दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों के साथ गठबंधन है.

डॉ. अल-इस्सा ने हिंदुस्तान के प्रति अपने गहरे रिश्ते को व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदू समुदाय में मेरे कई दोस्त हैं. हम आस्थाओं के बीच समझ को मजबूत करना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कई हिंदू नेताओं के साथ हमारे कई समान मूल्य हैं और हम मतभेदों का सम्मान करते हैं. इसके बावजूद हम जानते हैं कि मुस्लिम घटक एक महत्वपूर्ण घटक है.

 


ये भी पढ़ें : भारत में उपदेश देने वाले कौन हैं Muhammad bin Abdul Karim Al-Issa


 

देश-दुनिया में सद्भावना के विस्तार के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि धर्म सहयोग का साधन बन सकता है. हम हर किसी को समझने के लिए  लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं. सोशल मीडिया पर चलने वाले नकारात्मक देशों की ओर इशारा करते डॉ. अल-इस्सा ने कहा कि हमें दुनिया में नकारात्मक रुझान को कम करने और समान मूल्यों को मजबूत करने के लिए काम करना होगा.

उन्होंने माना कि भारत पूरे विश्व के लिए ‘सह-अस्तित्व का एक महान मॉडल’ है.उन्होंने कहा कि अपनी बातचीत में मैंने पाया है कि भारत के मुसलमानों को भारतीय होने पर गर्व है.

उन्होंने वर्ल्ड मुस्लिम लीग के बैनर तले विश्व शांति के लिए चलाए जा रहे अभियानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमने संस्कृतियों और सभ्यताओं के बीच टकराव को समाप्त करने के लिए पहल शुरू की है. इस दौरान हमने पाया कि भारत में समुदायों के बीच आशावाद की सच्ची भावना.

उन्होंने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विविधता, संविधान और स्थिरता की रक्षा का एक शानदार उदाहरण है. उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा सह-अस्तित्व के लिए महान भूमिका को बढ़ावा देती है. सहिष्णुता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में सामुदायिक नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में हमें सहिष्णुता के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है. हमें अपने भाग्य को आकार देने के लिए गठबंधन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम समझ चुके हैं कि दूसरा भी इंसान है. बच्चों को शुरुआती जीवन से ही यह सिखाया जाना चाहिए. हमें बेहतर भविष्य के लिए अपना योगदान देना होगा.

डॉ अल-इस्सा ने इस्लाम के उदारवादी पहलू की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस्लामी संस्कृति प्रेम, जुड़ाव और संवाद के लिए खुली है. इस्लाम में सह-अस्तित्व एक धार्मिक दायित्व है. उन्होंने दुनिया भर मजहबों के बीच चलने वाले संघर्षों के बारे में कहा कि इस्लाम हमें उन लोगों के प्रति सम्मान दिखाना सिखाता है, जिससे हम असहमत हैं.

 


ये भी पढ़ें :  डॉ अल इस्सा लाए हैं शांति और इंसान-परस्ती का संदेश


 

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 1.8अरब मुसलमानों को इस्लाम के सच्चे संदेश का प्रतिनिधि बनना होगा. इस्लाम केवल सहिष्णुता के बारे में नहीं है, बल्कि इस्लाम दूसरों को माफ करने के बारे में भी है.

उन्होंने कहा कि एमडब्ल्यूएल हर किसी के साथ बातचीत के लिए खुला है. हम भारतीय ज्ञान को बहुत महत्व देते हैं. उन्होंने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि बातचीत के लिए खुला रहने के मामले में भारत बाकी दुनिया के लिए प्रेरणा है.

उन्होंने ‘भारतीय ज्ञान’ की सराहना करते हुए कहा, हम अपने साझा उद्देश्यों के लिए विभिन्न घटकों और विविधता के साथ पहुंचते हैं. हमने भारतीय ज्ञान के बारे में बहुत कुछ सुना है. हम जानते हैं कि इसने मानवता के लिए बहुत योगदान दिया है.

भारत और सऊदी अरब के रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारी साझेदारी पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है. सभ्यताओं का यह गठबंधन पूरी दुनिया के लिए सद्भाव का संदेश देता है. डॉ. अल इस्सा ने स्पष्ट किया कि मानवता की रक्षा के लिए हमें एक साथ रहने की जरूरत है.

सऊदी प्रतिनिधि ने कहा कि उनका संगठन धार्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में काम कर रहा है.

उन्होंने कहा कि दुनिया में यह निराशावादी सिद्धांत है, जो कहता है कि सभ्यताओं के बीच टकराव अपरिहार्य है. इस प्रकार ऐसा टकराव दो कारकों पर निर्भर करता है. धर्म भी हैं और सभ्यताएं भी हैं. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे सिद्धांतों से अवगत रहा है. अल-इस्सा ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के भीतर एक संगठन, एक अंग की स्थापना की गई है, जिसे सभ्यताओं का गठबंधन कहा जाता है.

उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने संयुक्त राष्ट्र और उनके नेतृत्व के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र के मंच से पूर्व और पश्चिम के बीच पुल बनाना नामक एक पहल शुरू की है.

शांति सम्मेलन को एनएसए अजीत डोभाल ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि डॉ. अल-इस्सा के प्रयास इस्लाम को बेहतर ढंग से समझने में योगदान दे रहे हैं. डॉ. अल-इस्सा ने इस्लाम के शांति और भाईचारे के पक्ष को दुनिया के समक्ष मजबूती से रखा है, जिसकी सर्वत्र सराहना हो रही है.

बता दें कि डॉ. अल-इस्सा उदारवादी इस्लाम की एक प्रामाणिक वैश्विक आवाज माने जाते हैं. और डॉ. अल-इस्सा सोमवार को एक सप्ताह के भारत दौरे पर आए हुए हैं. यात्रा के दूसरे दिन उन्होंने पीस कांफ्रेंस में भाग लिया. उनका विदेश मंत्री एस जयशंकर और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी से मुलाकात का भी कार्यक्रम है.

वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात कर सकते हैं. उनका विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में प्रतिष्ठित धर्म गुरुओं से संवाद स्थापित करने का भी कार्यक्रम है. जानकारी के अनुसार, वह अक्षरधाम मंदिर जा सकते हैं और कुछ प्रमुख हस्तियों से मुलाकात कर सकते हैं. उनका शुक्रवार की नमाज के लिए जामा मस्जिद दिल्ली का दौरा करने का भी कार्यक्रम है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)