राकेश चौरासिया
कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जाता है कि कश्मीर में मुहर्रम नहीं मनाया जाता है, लेकिन यह कहना सच नहीं है. बल्कि, 2023 में श्रीनगर में मुहर्रम का जुलूस निकाला गया था. लेकिन, यह भी सच है कि कश्मीर में मुहर्रम के जुलूसों पर कई दशकों से प्रतिबंध लगा हुआ था.
मुहर्रम इस्लाम के सबसे पवित्र महीनों में से एक है, जब दुनिया भर के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली अल-हुसैन की शहादत पर शोक व्यक्त करने के लिए जुलूस निकालते हैं, जिनकी मृत्यु 680 ई. में कर्बला की लड़ाई में हुई थी. कर्बला वर्तमान ईराक में है.
2023 में तीन दशक के बाद, कश्मीर में हजारों शिया मुसलमानों ने मुहर्रम के आठवें दिन, इस्लामी चंद्र कैलेंडर के पहले महीने को चिह्नित करने के लिए जुलूस में हिस्सा लिया था. गुरु बाजार से शुरू हुआ 5 किलोमीटर लंबा जुलूस, लालचौक शहर के केंद्र से गुजरा और डल गेट पर समाप्त हुआ. पारंपरिक काले कपड़े पहने, शोक मनाने वालों ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच क्षेत्र के मुख्य शहर श्रीनगर के बीचों-बीच चलते हुए नोहाख्वानी की थी.
प्रतिबंध की वजह
वर्तमान स्थिति
प्रतिबंध के कारण
मुसलमानों की प्रतिक्रिया
निष्कर्षः