मुहर्रम कश्मीर में क्यों नहीं मनाया जाता है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 12-07-2024
 Muharram procession in Kashmir
Muharram procession in Kashmir

 

राकेश चौरासिया

कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जाता है कि कश्मीर में मुहर्रम नहीं मनाया जाता है, लेकिन यह कहना सच नहीं है. बल्कि, 2023 में श्रीनगर में मुहर्रम का जुलूस निकाला गया था. लेकिन, यह भी सच है कि कश्मीर में मुहर्रम के जुलूसों पर कई दशकों से प्रतिबंध लगा हुआ था.

मुहर्रम इस्लाम के सबसे पवित्र महीनों में से एक है, जब दुनिया भर के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली अल-हुसैन की शहादत पर शोक व्यक्त करने के लिए जुलूस निकालते हैं, जिनकी मृत्यु 680 ई. में कर्बला की लड़ाई में हुई थी. कर्बला वर्तमान ईराक में है.

2023 में तीन दशक के बाद, कश्मीर में हजारों शिया मुसलमानों ने मुहर्रम के आठवें दिन, इस्लामी चंद्र कैलेंडर के पहले महीने को चिह्नित करने के लिए जुलूस में हिस्सा लिया था. गुरु बाजार से शुरू हुआ 5 किलोमीटर लंबा जुलूस, लालचौक शहर के केंद्र से गुजरा और डल गेट पर समाप्त हुआ. पारंपरिक काले कपड़े पहने, शोक मनाने वालों ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच क्षेत्र के मुख्य शहर श्रीनगर के बीचों-बीच चलते हुए नोहाख्वानी की थी.

प्रतिबंध की वजह

  • दरअसल, 1980 के दशक में, कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन के कारण सांप्रदायिक हिंसा में वृद्धि हुई थी.
  • शिया मुसलमानों पर हुए हमले के बाद, सुरक्षा कारणों से मुहर्रम के जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

वर्तमान स्थिति

  • 2023 में, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शर्तों के साथ श्रीनगर में मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति दी थी. जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से निकाला गया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे. हालांकि, अन्य जिलों में मुहर्रम के जुलूसों पर प्रतिबंध अभी भी जारी है.

प्रतिबंध के कारण

  • प्रशासन का कहना है कि जुलूसों से सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है और कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है.
  • आतंकवादी जुलूसों पर हमला कर सकते हैं, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है.

मुसलमानों की प्रतिक्रिया

  • हालांकि कई शिया मुसलमान शांतिपूर्ण तरीके से मुहर्रम मनाने की स्वतंत्रता की मांग करते हैं.

निष्कर्षः

  • कश्मीर में मुहर्रम का मसला जटिल है. सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है. प्रशासन की ओर से यह उम्मीद की जाती है कि सभी पक्षों के बीच सार्थक बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सकेगा, जिससे कश्मीर में मुहर्रम को सभी के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से मनाया जा सके.