एम मिश्र /लखनऊ
शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के धर्म परिवर्तन कर जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी बनने के बाद अब उनकी खरीदी हुई हयाती कब्र भी नहीं रही. कर्बला तालकटोरा के मुतवल्ली ने वसीम की हयाती कब्र के आवंटन को निरस्त कर दिया.
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए विवादों में रहने वाले वसीम रिजवी 10 जनवरी 2018 को अपनी जिंदगी में ही कर्बला तालकटोरा में हयाती कब्र खरीद कर चर्चा में आ गए थे.
वसीम ने हयाती कब्र के लिए कर्बला प्रबंधन को 22 हजार 600 रुपये अदा किए थे. उस वक्त उन्होंने हयाती कब्र खरीदने की वजह अपनी बयानबाजी के लिए आए दिन जान से मारने की मिल रही धमकियों को बताया था. वसीम के धर्म परिवर्तन के बाद उनकी हयाती कब्र का आवंटन निरस्त कर दिया गया है.
कर्बला तालकटोरा के मुतवल्ली सैयद फैजी का कहना है कि वसीम पहले ही वसीयत कर चुके हैं कि उनके मरने के बाद उन्हें हिन्दू रीति रिवाज के साथ जलाया जाए .
अब उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है. वो वसीम रिजवी से जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी बन चुके हैं. ऐसे में कर्बला में उनकी हयाती कब्र रहने की कोई वजह नहीं रह जाती है.
कर्बला तालकटोरा
कर्बला तालकटोरा की शिया समुदाय में खास अहमियत है. कर्बला तालकटोरा में हजरत इमाम हुसैन का रोजा है. साथ ही कर्बला का कब्रिस्तान भी शहर का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है. ऐसे में शिया समुदाय के लोगों में यहां पर दफनाए जाने की ख्वाहिश रहती है.
वसीम रिजवी ने अपनी हयाती कब्र में ग्रेनाइट पत्थरों से पक्का करके उसे खूबसूरती देने के साथ ही कीमती भी बना दिया था. यहां तक कि वसीम ने अपनी कब्र के ऊपर अपना फोटो भी पत्थर पर उकेरवा कर उसे पहली कब्र होने का दर्जा देने की कोशिश भी की.
कब्र के पत्थर पर नक्काशी और लिखवाने का काम भी किया. इससे वसीम की हयाती कब्र काफी कीमती बन गई थी. इस कब्र की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि ये इमाम हुसैन के रौजे के ठीक सामने स्थित थी जहां पर कब्र के लिए जगह मिलना हर मोमिन की इच्छा होती है.
कभी बाबरी मस्जिद तो मदरसों को लेकर विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले वसीम रिजवी ने साल 2020 में कुरान से 26 आयतों को हटाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी.
उनका हर तरफ विरोध शुरू हो गया था. यहां तक कि लोग उनकी हयाती कब्र पर जाकर वसीम की जिंदगी में ही फातेहा पढ़ कर विरोध जता रहे थे. इसके अलावा हुसैनी टाइगर के कार्यकर्ताओं ने कर्बला तालकटोरा के भीतर जाकर वसीम की हयाती कब्र को भी नुकसान पहुंचा अपनी नाराजगी जाहिर की थी. उस समय इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई थी.
कुरान मजीद और पैगंबर मोहम्मद साहब का अपमान करने के बाद वसीम के परिवार और उनकी पहली पत्नी व बच्चों ने पहले ही उनसे किनारा कर लिया है. धर्म परिवर्तन कर वसीम के हिन्दू बनने के बाद उनके करीबी साथियों ने भी किनारा करना शुरू कर दिया है.
वसीम के सबसे खास माने जाने वाले कर्बला तालकटोरा के मुतवल्ली सैयद फैजी ने उनके धर्म परिवर्तन करने के अगले दिन ही उनकी हयाती कब्र का आवंटन निरस्त कर उनसे अलग होने का संदेश दे दिया.
वसीम ने ही वक्फ बोर्ड का चेयरमैन रहते फैजी को कर्बला तालकटोरा का मुतवल्ली बनाया था. इसके अलावा फैजी को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाने में भी वसीम का बड़ा योगदान रहा है.
वसीम ने अपने साथ ही उन्हें बोर्ड के सदस्य पद के लिए चुनाव लड़वाया और खुद के साथ फैजी के पक्ष में भी अपने बराबर 25 वोट डलवाने में अहम भूमिका अदा की थी.