वक्फ अधिनियम 2025: लाभ नहीं, नुकसान का खतरा — जमीअत उलमा-ए-हिंद की विशेषज्ञों के साथ विशेष बैठक

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 16-04-2025
Waqf Act 2025: No benefit, risk of loss — Jamiat Ulama-e-Hind holds special meeting with experts
Waqf Act 2025: No benefit, risk of loss — Jamiat Ulama-e-Hind holds special meeting with experts

 

नई दिल्ली

जमीअत उलमा-ए-हिंद द्वारा मदनी हॉल, नई दिल्ली स्थित कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में, देश भर के प्रख्यात कानूनी विशेषज्ञों, इस्लामी विद्वानों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक नेताओं ने वक्फ अधिनियम 2025 की गंभीर खामियों को उजागर किया. सभी ने एकमत से इस अधिनियम को वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के बजाय उनके अस्तित्व के लिए खतरा बताया.

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा केवल एक कानूनी या प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक धार्मिक, नैतिक और सामाजिक फर्ज है। विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी कि नया कानून उपासना स्थल अधिनियम 1991 को कमजोर कर सकता है.

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि जमीअत ने स्वतंत्रता-पूर्व और स्वतंत्रता के बाद, वक्फ की रक्षा में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है.1937 के शरीयत एप्लीकेशन एक्ट, 1954 और 1995 के वक्फ अधिनियमों में हमारी सिफारिशें शामिल थीं। लेकिन वर्तमान सरकार ने किसी भी धार्मिक या कानूनी संस्था की राय को इस नए अधिनियम में शामिल नहीं किया है.

उन्होंने वक्फ की भावना और उद्देश्यों को कमजोर करने वाले प्रावधानों की आलोचना करते हुए कानूनी और जन-आंदोलन दोनों स्तरों पर संघर्ष की अपील की.

सैयद महमूद अख्तर (पूर्व IRS अधिकारी और वक्फ विशेषज्ञ) ने कहा कि नया कानून DDA मॉडल पर आधारित है, जिसमें शरीअत सिद्धांतों की कोई झलक नहीं है.एम. इकबाल ए. शेख (पूर्व सदस्य, सेंट्रल वक्फ काउंसिल) ने कहा कि धारा 40 और 83 के ज़रिए वक्फ बोर्ड की कानूनी हैसियत को कमजोर करने की कोशिश की गई है.

एडवोकेट पीरजादा फरीद अहमद निजामी (दरगाह हजरत निजामुद्दीन) ने आपत्ति जताई किधारा 3 में 5 साल की मुस्लिम बच्चे की शर्त और धारा 3D के तहत पुरातत्व में शामिल संपत्तियों का वक्फ दर्जा हटाना इस्लामी उसूलों के खिलाफ है.

अफजाल मुहम्मद सफवी फारूकी (दरगाह सफीपुर) ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक संस्थाओं की अज्ञानता और दिशा-निर्देशों की कमी चिंताजनक है.सैयद मुहम्मद अली हुसैनी (सज्जादा नशीन, गेसू दराज़) ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज तत्काल तैयार किए जाने चाहिए.

एडवोकेट एम. आर. शमशाद (वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट) ने चेताया कियह कानून ऊपर से कुछ और, भीतर से कुछ और है – हर एक संपत्ति की व्यक्तिगत रूप से सुरक्षा जरूरी है.”एडवोकेट रऊफ रहीम ने कहा कि केवल एकता ही इस चुनौती का समाधान है – व्यक्तिगत प्रयास नाकाफी होंगे.

एडवोकेट मुहम्मद ताहिर हकीम (गुजरात) ने कहा कि कानून में वक्फ का दर्जा समाप्त करने की संभावना बेहद चिंताजनक है.एम.जे. अकबर (सेवानिवृत्त IFS) ने कहा,वक्फ को खत्म कर ट्रस्ट सिस्टम लागू करने की कोशिश एक सुनियोजित साजिश है.”

मौलाना सिद्दीकुल्लाह चौधरी (पश्चिम बंगाल अध्यक्ष) ने सुझाव दिया किवकीलों की एक टीम बनाई जाए और उनके संपर्क नंबर सार्वजनिक किए जाएं, जिससे जनता वक्फ संपत्तियों की रक्षा में मदद ले सके.

हाजी मोहम्मद हारून (मध्य प्रदेश अध्यक्ष) ने कहा कि100 शहरों में छोटे-छोटे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं.हाफिज नदीम सिद्दीकी (महाराष्ट्र अध्यक्ष) ने सुझाव दिया कियुवाओं की ब्लॉक स्तर पर टीमें बनाकर वक्फ रिकॉर्ड की जांच और संरक्षण का कार्य शुरू किया जाए.

प्रो. निसार अंसारी (महासचिव, गुजरात) ने कहा किप्रत्येक राज्य में उप-समितियां बना कर दस्तावेजीकरण प्रक्रिया तेज की जाए.बैठक में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि वक्फ अधिनियम 2025 मौजूदा स्वरूप में वक्फ संपत्तियों और संस्थाओं के लिए लाभकारी नहीं, बल्कि हानिकारक है. जमीअत उलमा-ए-हिंद ने इस पर संवैधानिक, कानूनी और सामाजिक स्तर पर समवेत संघर्ष की नींव रख दी है.