उत्तराखंड विधानसभा ने सख्त भूमि संशोधन विधेयक पारित किया, मुख्यमंत्री धामी ने बताया ऐतिहासिक कदम

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-02-2025
Uttarakhand Assembly passed the tough land amendment bill, Chief Minister Dhami called it a historic step
Uttarakhand Assembly passed the tough land amendment bill, Chief Minister Dhami called it a historic step

 

देहरादून

उत्तराखंड विधानसभा ने शुक्रवार को उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि सुधार अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राज्य के लिए ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि यह प्रदेश को नवाचार की दिशा में आगे ले जाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में से एक है.

मुख्यमंत्री धामी का बयान

मुख्यमंत्री धामी ने विधेयक की प्रशंसा करते हुए कहा, "हमने राज्य में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं, जिनमें समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन, युवाओं के लिए कठोर धोखाधड़ी विरोधी कानून, धर्मांतरण और दंगों को रोकने के लिए बनाए गए कानून शामिल हैं.

हम उत्तराखंड को नवाचार की ओर ले जा रहे हैं और जो वादे किए हैं, उन्हें पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। यह भूमि सुधार कानून भी उसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है."

भूमि सुधारों की शुरुआत

विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन भूमि सुधारों की समाप्ति नहीं बल्कि एक नई शुरुआत है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं और भावनाओं के अनुरूप कार्य कर रही है.

भविष्य में भी भूमि प्रबंधन और सुधारों पर कार्य जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड की भूमि और संसाधनों को भू-माफियाओं से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है.

नए कानून के तहत प्रावधान

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड में मैदानी और पर्वतीय दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं. औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि वास्तविक निवेशकों को कोई कठिनाई न हो.

उन्होंने कहा, "हम लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं. पिछले कुछ वर्षों में देखा गया कि कुछ लोग रोजगार देने के नाम पर जमीन खरीद रहे थे, लेकिन उनका वास्तविक उद्देश्य कुछ और था. भूमि प्रबंधन एवं सुधार अधिनियम लागू होने के बाद इस पर पूरी तरह से अंकुश लगेगा."

सरकार ने बड़े पैमाने पर राज्य से अतिक्रमण हटाने का कार्य किया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि 3461.74 एकड़ वन भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है. यह कार्य राज्य के इतिहास में पहली बार हुआ है, जिससे प्रदेश की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित किया गया है.

जमीन खरीद संबंधी नए नियम

मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले कृषि और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए जमीन खरीदने की अनुमति जिला कलेक्टर द्वारा दी जाती थी, लेकिन अब 11 जिलों में यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई है. केवल हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों में राज्य सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा.

इसके अलावा, 11 जिलों में किसी भी व्यक्ति के लिए 12.5 एकड़ से अधिक भूमि हस्तांतरण को समाप्त कर दिया गया है. आवासीय परियोजनाओं के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने हेतु अब शपथ पत्र अनिवार्य कर दिया गया है. यदि शपथ पत्र में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो वह भूमि राज्य सरकार में निहित हो जाएगी.

नए कानून में किए गए प्रमुख संशोधन

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के तहत अधिसूचित भूमि की खरीद की अनुमति अब कलेक्टर के बजाय राज्य सरकार के स्तर पर दी जाएगी.

  • गैरसैंण में सरकार ने हितधारकों से चर्चा कर उनके सुझाव लिए.

  • उत्तराखंड की मूल पहचान और डेमोग्राफी को बनाए रखने के लिए भूमि सुधार किए गए हैं.

  • औद्योगिक, पर्यटन, शैक्षिक, स्वास्थ्य, कृषि एवं बागवानी प्रयोजनों हेतु 1883 भूमि खरीदने की अनुमति राज्य सरकार और कलेक्टर द्वारा दी गई.

  • 599 मामलों में भू-उपयोग उल्लंघन पाए गए, जिनमें से 572 मामलों में विधिक कार्रवाई की गई.

  • 16 मामलों में वाद का निस्तारण करते हुए 9.4760 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार में निहित की गई.

भविष्य की योजनाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार भविष्य में भी भूमि सुधारों को प्राथमिकता देगी ताकि उत्तराखंड की भूमि और संसाधनों का सही उपयोग हो सके. उन्होंने आश्वासन दिया कि यह कानून प्रदेश के हितों की रक्षा करेगा और राज्य के आर्थिक विकास में सहायक सिद्ध होगा.