श्रीनगर में ‘एकता का संदेश फैलाने’के लिए उर्दू मुशायरा और सेमिनार आयोजित

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 05-01-2025
Urdu Mushaira and seminar held in Srinagar to 'spread message of unity'
Urdu Mushaira and seminar held in Srinagar to 'spread message of unity'

 

श्रीनगर. साहित्यिक प्रतिभा और सांस्कृतिक एकता के एक उल्लेखनीय प्रदर्शन में, लखनऊ से फखरुद्दीन अली अहमद स्मारक समिति के तत्वावधान में और इंदर सांस्कृतिक मंच सुंबल के सहयोग से महानगर शिक्षा समिति प्रयागराज ने श्रीनगर में एक प्रेरक सेमिनार और उर्दू मुशायरा आयोजित किया.

इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित कवि, लेखक और साहित्य प्रेमी एक साथ आए और उर्दू साहित्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और उन कवियों और लेखकों को याद करने के लिए एक जीवंत मंच प्रदान किया, जो जीवित नहीं हैं, लेकिन जिन्होंने उर्दू कविता के लिए बड़ा योगदान दिया है.

आयोजक शफकत अब्बास ने एएनआई को बताया, ‘‘हम आपसी एकता के कार्यक्रम आयोजित करते हैं. हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी जम्मू, लद्दाख और कारगिल में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. यह तो बस शुरुआत है. ऐसे आयोजन एकता की शांति फैलाते हैं. और हमें उन लोगों को याद रखना चाहिए जो हमारे बीच नहीं हैं. हमें अतीत को नहीं भूलना चाहिए.’’

सेमिनार में उर्दू कविता के विकास और आधुनिक साहित्यिक आख्यानों को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर केंद्रित विचारोत्तेजक चर्चाएँ हुईं. प्रसिद्ध विद्वानों और कवियों ने अपने विचार साझा किए, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में गहराई से गूंजने वाले विषयों पर चर्चा की. संवादात्मक सत्रों ने विचारों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया, प्रतिभागियों के बीच सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया.

मुख्य आकर्षण उर्दू मुशायरा था, जहाँ कवियों ने अपनी कलात्मक अभिव्यक्तियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हुए अपनी कविताएँ सुनाईं. उर्दू कविता की समृद्ध लय पूरे आयोजन स्थल पर गूंज रही थी, जो भाषा में निहित भावना और रचनात्मकता की गहराई को दर्शाती है. स्थानीय कवि और लेखक सतीश विमल ने बताया, ‘‘...ठंड के बावजूद परिस्थितियों के अनुसार, इस तरह के कार्यक्रम ने अवसरों की गर्माहट पैदा की...ऐसे मंचों की जरूरत है. हमने पिछले कुछ दिनों में बहुत कुछ खोया है...यह एक स्वागत योग्य कदम है...ऐसे आयोजनों के माध्यम से स्थानीय प्रतिभाएँ सामने आती हैं.ष्’’

प्रत्येक कवि ने एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें प्रेम और लालसा से लेकर सामाजिक मुद्दों और सांस्कृतिक विरासत तक के विविध विषयों पर प्रकाश डाला गया, जो श्रोताओं के साथ गहराई से जुड़ गया.

एक अन्य स्थानीय कवि और लेखक इमदाद साकी ने एएनआई को बताया, ‘‘...यहां, सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं और कई हस्तियों को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे. मुझे लगता है कि कश्मीर में उर्दू भाषा संरक्षित है. लखनऊ में, उर्दू परिदृश्य से लुप्त हो रही है. कश्मीर उर्दू भाषा का एकमात्र घर है.’’

इस साहित्यिक सभा ने न केवल उर्दू भाषा और साहित्य के उत्सव के रूप में कार्य किया, बल्कि समुदायों के बीच कलात्मक संवाद को बढ़ावा देने के महत्व पर भी जोर दिया.