भारत में सशक्त होते खादी के पारम्परिक उद्योग

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 14-09-2023
Traditional Khadi industries becoming stronger in India
Traditional Khadi industries becoming stronger in India

 

निमिष रुस्तगी / हिमांशु पाठक

पिछले 9 सालों में, भारतीय कारीगरों द्वारा खादी के चरखे पर बुनी गई क्रांति को पूरी दुनिया देख रही है. 'आत्मनिर्भर भारत' नाम की यह क्रांति भारतीयों के ‘भावनात्मक मूल्यों’ को दर्शाती है .

यह स्वदेशी निर्मित वस्तुओं की आवश्यकता और महत्व का प्रतीक है. वर्तमान में ‘खादी’ हमारे राष्ट्र की प्रगति का अभिप्राय बन गई है. खादी उद्योग, भारत के सबसे प्रमुख पारंपरिक उद्योगों में से एक है. यह उद्योग न केवल कारीगरों के लिए बिक्री और रोजगार के अवसरों को सृजित करता है, बल्कि निर्यात क्षमता, जीडीपी को भी मजबूत करता है. साथ ही ग्रामीण विकास और उद्यमिता को भी बढ़ावा देता है.

आर्थिक विकास

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने भारत में सर्वश्रेष्ठ एफएमसीजी कंपनियों के कारोबार को भी पार कर लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निरंतर समर्थन के कारण, केवीआईसी ने पहली बार 2022-23 में 1.34 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया है. देश में वर्ष 2013-14 में खादी और ग्रामोद्योग (केवीआई) उत्पादों का कारोबार 31,154 करोड़ रुपये था.

2013-14 से 2022-23 तक कारीगरों द्वारा निर्मित स्वदेशी खादी उत्पादों की बिक्री में 332% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. पिछले 9 वर्षों में खादी वस्त्रों के उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी देखने को मिली है. 

वर्ष 2013-14 में खादी का उत्पादन 811 करोड़ रुपये था, 260% की उछाल के साथ 2022-23 में 2916 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू गया है. 2013-14 से 2022-23 के बीच खादी वस्त्रों की मांग भी तेजी से बढ़ी है.

2013-14 में जहां इसकी बिक्री महज 1081.04 करोड़ रुपये थी, वहीं वर्ष 2022-23 के दौरान यह 450% बढ़कर 5942.93 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू गई है.

खादी वस्त्रों के उत्पादन और बिक्री में हो रही वृद्धि का लाभ इस क्षेत्र से जुड़े कामगारों को भी मिल रहा है. 2013-14 के बाद से उनके पारिश्रमिक में 150% से अधिक की वृद्धि हुई है. इन कामगारों व बुनकरों के निरंतर प्रयासों और कड़ी मेहनत के कारण खादी क्षेत्र में यह उल्लेखनीय प्रगति संभव हुई है .

ग्रामीण उद्योगों और सामुदायिक विकास   सशक्त बनाती खादी

देश को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में ग्रामीण पुनरोद्धार आवश्यक भूमिका निभाता है. बीते  9 वर्षों में इस क्षेत्र से जुड़े कारीगरों को डीबीटी के माध्यम से प्रदान की गई वित्तीय सहायता, चरखा और करघे जैसी मौजूदा बुनियादी सुविधाओं का आधुनिकीकरण, डिजिटलीकरण, अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के माध्यम से नई प्रौद्योगिकी और डिजाइनों के विकास में काफी वृद्धि हुई है.

भारत सरकार के इन महत्वपूर्ण प्रयासों ने  खादी एवं   ग्रामोद्योग उत्पादों के विकास में अहम योगदान दिया है. केवीआईसी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए 2021 में एक सरकारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म eKhadiIndia.com का अनावरण किया, जो 50,000 से अधिक उत्पादों को प्रदर्शित करता है .

देश में ग्रामीण पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने, विकसित करने और मजबूत करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने कई अन्य पहल की है, उदाहरणार्थ केवीआईसी अपने ग्रामोद्योग कार्यक्रम के माध्यम से शहद और मधुमक्खी पालन, ताड़ के गुड़, मिट्टी के बर्तन, हस्तनिर्मित कागज और चमड़ा उद्योग, ग्रामीण इंजीनियरिंग आदि जैसे विभिन्न ग्रामीण उद्योगों में प्रशिक्षण प्रदान करने, आय बढ़ाने और आजीविका के अवसरों में सुधार करने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर रहा है.

इसके अलावा ग्रामीण महिलाओं  को  कार्यक्षेत्र में अग्रणी बनाने हेतु  सिलाई मशीन प्रदान करने के साथ-साथ सिलाई प्रशिक्षण की  व्यवस्था भी करता है. वर्ष 2013-14 से अब तक देश भर में 7.43 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया है और कारीगरों को  जरूरत आधारित टूल किट उपलब्ध कराए गए हैं.

इसके अलावा, "वोकल फॉर लोकल" की अपील ने खादी को देश और विदेश में लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है.

रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना

पिछले कुछ वर्षों में, केवीआईसी का मुख्य ध्येय कारीगरों और बेरोजगार युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर सृजित करना रहा है . 

इसी प्रकार केवीआईसी ने वर्ष 2013-14 में सृजित 5 .6 लाख नये रोजगार अवसरों की तुलना में 2022-23 में कुल 9.5 लाख रोजगार के अवसर सृजित कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है.

यही नहीं, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के अंतर्गत, देश के युवाओं को स्वदेशी अभियान से जोड़कर राष्ट्र ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है.

पीएमईजीपी की 80% से अधिक इकाईयां ग्रामीण ईलाकों में स्थापित की जाती हैं, जिनमें से 50% से अधिक ईकाइयों का नेतृत्व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों द्वारा किया जाता है.

इससे देश में महिला सशक्तिकरण और महिला उद्यमियों को  बल मिला है.पीएमईजीपी के तहत, 2022-23 के दौरान 8.69 लाख नई परियोजनाओं की शुरुआत करके कुल 73.67 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं, जिसमे 2008-09 से 2022-23 तक 21870.18 करोड़ रुपये की कुल मार्जिन मनी सब्सिडी  वितरित की गयी है. इसके अलावा, केवीआईसी अपने प्रशिक्षण केन्द्रों और अन्य संवर्धनात्मक स्कीमों के माध्यम से बेरोजगार युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम (एसडीपी) और उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम (ईएपी) आयोजित करता है ताकि पारंपरिक उद्योगों में स्व-रोजगार के अवसर तैयार किए जा सकें.

संक्षेप में, खादी उद्योग न केवल भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि आर्थिक विकास, रोजगार और सतत विकास का एक अनिवार्य स्रोत भी है. खादी उद्योग को बढ़ावा देकर  राष्ट्र ने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ प्राप्त किए हैं, जिससे देश की समग्र प्रगति में योगदान मिला है.

-लेखक पत्र सूचना कार्यालय  से जुड़े हैं