राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
आल इंडिया सूफी सज्जादनशीन काउंसिल के चेयरमैन एवं अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उतराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने अजमेर में महान सूफी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के बड़े बेटे ख़्वाजा फख़रूद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स के समापन समारोह और अजमेर दरगाह में मनाए जाने वाली बसंत पंचमी पर्व के मौके पर विभिन्न हिस्सों से आए अनुयायियों को संभोधित करते हुए कहा कि देश में नफरत फैलाने वालों को यह समझना होगा कि पहले हम सब हिंदुस्तानी, बाद में हिन्दू-मुसलमान हैं.
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि भारत की सभ्यता की यही ख़ूबसूरती है कि हम हर धर्म का त्योहार मिल-जुलकर मानते हैं, जिसकी मिसाल बसंत पंचमी है, जो अजमेर सहित देश की हर बड़ी सूफी दरगाह में मनाई जाती है. मगर कुछ लोग भारत विरोधी विदेशी ताकतों को खुश करने के लिए दुष्प्रचार कर रहे हैं कि भारत में मुसलमान खुश नहीं और भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है, जबकि वास्तविकता बिलकुल अलग है. क्योंकि सत्यतायह है कि भारत का मुसलमान पूरी आजादी के साथ इस देश में रह रहा है और इस देश के हर मुसलमान को अपने धर्म के अनुसार पूर्ण रूप से जीने की स्वतंत्रता है. जो लोग भारत के खि़लाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं, उन्हें अपनी इन नापाक हरकतों से बाज आना चाहिए. और एक बार दुनिया के गैर अरब देशों का पूर्ण रूप से विश्लेषण कर लेना चाहिए कि वहां के मुस्लिम किन हालात में जी रहे हैं और क्या उन्हें भारत के मुसलमानों की तरह पूरी धार्मिक स्वतंत्रता है या नहीं.
चिश्ती ने कहा कि आज देश में जहां देखो नाफरत फैलाने कि होड़ मची हुई है. यहां तक कि समाज के जिम्मेदार भी अपने भाषणों से एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं और जज्बात भड़काने में लगे हुए हैं कोई कहता है कि में मुस्लिम हुआ, तो कोई कहता है मैं हिंदू हूं. कोई यह नहीं कहता कि मैं हिंदुस्तानी हूं और यही मेरी पहचान है. कुछ स्वार्थी व अतिवादी सोच रखने वाले, आम लोगों के दिलों में ख़ास तौर से युवाओं के दिलो-दिमाग में धर्म के नाम पर जहर घोलकर देश में नफरत को बढ़ावा दे रहे है, जो बिल कुल गलत है. और सूफी संतों की तालीमत के खि़लाफ है. देश में अमन और सद्भावना क़ायम रहे, इसकी जेम्मेदारी सभी की है. इसलिये जलसों और कार्यक्रमों में बोलते समय अपनी भाषा में संयम रखें.
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