"समय आ गया है कि निजी क्षेत्र रक्षा क्षेत्र में भागीदारी के लिए आगे आए": राजनाथ सिंह

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 18-10-2024
"Time has come for private sector to come forward to participate in defence sector": Rajnath Singh

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि निजी क्षेत्र को रक्षा क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने और तेजी से बदलावों के अनुकूल होने की क्षमता है. दिल्ली में रक्षा प्रौद्योगिकी त्वरण पर डीआरडीओ उद्योग कार्यशाला में बोलते हुए सिंह ने कहा, "रक्षा क्षेत्र पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव पारंपरिक युद्ध तक सीमित नहीं है; इसने ड्रोन, साइबर युद्ध, जैविक हथियार और अंतरिक्ष रक्षा सहित अपरंपरागत युद्ध को जन्म दिया है. ये तत्व रक्षा क्षेत्र के लिए चुनौतियां पेश करते हैं." 
 
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि रक्षा क्षेत्र में भागीदारी में निजी क्षेत्र के लिए नेतृत्व करने का समय आ गया है. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि निजी उद्योग में न केवल तेजी से बदलावों को आत्मसात करने की क्षमता है, बल्कि नए नवाचार करने की भी क्षमता है." उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के साथ साझेदारी में, भारत के रक्षा क्षेत्र को और अधिक नवीन और प्रौद्योगिकी-उन्मुख बनाने के लिए समर्पित है. 
 
उन्होंने कहा, "भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर, भारत के रक्षा क्षेत्र को और अधिक नवीन और प्रौद्योगिकी-उन्मुख बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हम इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और इसके परिणाम पहले से ही दिखाई दे रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास में वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स, एमएसएमई और युवा उद्यमियों के सहयोगात्मक प्रयास हमारे रक्षा क्षेत्र को मजबूत करेंगे.
 
"आज हम अपने आस-पास पारंपरिक युद्ध का जो स्वरूप देखते हैं, वह 50-60 साल पहले के स्वरूप से बहुत अलग है...आज तकनीक के कारण आप उनमें बड़ा बदलाव देख रहे हैं. रक्षा क्षेत्र पर तकनीक का प्रभाव केवल पारंपरिक युद्ध तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तकनीक ने रक्षा क्षेत्र में एक नए अपरंपरागत युद्ध को जन्म दिया है. ड्रोन, साइबर युद्ध, जैव, हथियार और अंतरिक्ष रक्षा जैसे कई तत्व इस समय रक्षा क्षेत्र के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं," उन्होंने कहा.
 
"ऐसे में मेरा मानना है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में आप जिस तरह आगे बढ़ रहे हैं, निश्चित रूप से वह हमारे रक्षा क्षेत्र को और भी अधिक सशक्त और मजबूत बनाएगा...यह प्रयास अकेले किसी एक संस्थान द्वारा नहीं किया जा रहा है, इसमें देश के वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स, एमएसएमई और हमारे युवा उद्यमियों का सहयोग शामिल है," उन्होंने कहा.