यह राधा-कृष्ण मंदिर आज की पीढ़ी में ‘ताजमहल’ जैसा हैः मोहम्मद आसिफ

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 24-05-2023
यह राधा-कृष्ण मंदिर आज की पीढ़ी में ‘ताजमहल’ जैसा हैः मोहम्मद आसिफ
यह राधा-कृष्ण मंदिर आज की पीढ़ी में ‘ताजमहल’ जैसा हैः मोहम्मद आसिफ

 

छतरपुर. एक अनूठी मिसाल कायम करते हुए बुंदेलखंड के एक सेवानिवृत्त शिक्षक ने अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी छतरपुर में अपनी पत्नी की याद में एक भव्य ‘राधा कृष्ण’ मंदिर के निर्माण पर खर्च कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया. इस मंदिर में मुस्लिम संगतराशों ने बेहतरीन कलाकारी की है.

बीपी चनसोरिया ने अपनी पत्नी की मृत्यु के दिन ही अपनी जीवन भर की इच्छा को पूरा करते हुए छतरपुर में मंदिर बनाने का संकल्प लिया था. मंदिर के निर्माण के लिए संगमरमर के पत्थरों पर विशेष कला की नक्काशी और इसकी सुंदरता को बढ़ाने की आवश्यकता है. यह काम राजस्थान के कई मुस्लिम कलाकारों द्वारा किया गया था, जिन्होंने तीन साल की अवधि में अपना पसीना और प्रयास लगाया था.

मंदिर के बारे में बोलते हुए, चांसोरिया ने बताया कि उन्होंने इसे बनवाया, क्योंकि उनकी पत्नी हमेशा चित्रकूट में ‘राधा कृष्ण’ मंदिर चाहती थीं. उन्होंने कहा, ‘‘नवंबर 2016 में मेरी पत्नी की मृत्यु के बाद मैंने संकल्प लिया कि मैं मंदिर बनवाऊंगा. 1.50 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर बनने में छह साल और सात दिन लगे. राधा-कृष्ण के प्रतीक हैं. प्यार जिसे लोगों को सदियों तक याद रखना चाहिए. साथ ही राधा कृष्ण के साथ राधा जी की सखी ललिता और विशाखा भी यहां विराजमान होंगी.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘29 मई को यह मंदिर समाज को समर्पित होगा. साथ ही मैं युवाओं को यह संदेश भी देना चाहता हूं कि शादी के बाद प्यार ही सबकुछ है. इसलिए छोटी-छोटी बातों पर प्यार या पत्नी को नहीं छोड़ना चाहिए.’’

मंदिर के स्थानीय पुजारी पंडित रमेश चंद्र दीक्षित ने कहा कि यह मंदिर एक उदाहरण के रूप में काम करेगा कि कैसे एक साथी के गुजर जाने के बाद भी प्यार बरकरार रहता है. उन्होंने कहा, ‘‘काम छह साल तक लगातार चला, 2010 में कुछ समय के लिए रुका, लेकिन फिर से शुरू हो गया. काम आखिरकार सात साल बाद पूरा हुआ. भगवान राधा कृष्ण, जो प्रेम के प्रतीक हैं, यहां विराजमान होंगे. मंदिर होगा लोगों के लिए मिसाल पेश करते हैं कि कोई अपने साथी के जीवित न होते हुए भी उससे इतना प्यार कैसे कर सकता है. स्थापना को लेकर लगातार कई कार्यक्रम चल रहे हैं.’’

संगतराशी के कलाकार मोहम्मद आसिफ ने बताया कि यह आज की पीढ़ी में ‘ताजमहल’ जैसा उदाहरण है. उन्होंने कहा, ‘‘एक समय शाहजहाँ ने अपनी दिवंगत पत्नी मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया थ, और आज उसने (बीपी चांसोरिया) अपनी दिवंगत पत्नी के लिए एक मंदिर बनवाया है. मंदिर में राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जाएगी. कार्य जारी है और लगभग पूरा हो चुका है और यह बहुत सुंदर दिख रहा है. स्थानीय लोग इसे लेकर बहुत खुश और उत्साहित हैं.’’

 

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