नई दिल्ली. चुनावी राज्य महाराष्ट्र में, भाजपा नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुस्लिम धर्मगुरुओं की संस्था उलेमा काउंसिल की मांगों के आगे झुकने के लिए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन पर निशाना साधा. एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में, फडणवीस ने कहा कि उलेमा काउंसिल ने एमवीए के समक्ष 17 मांगें रखी थीं, जिन्हें गठबंधन ने औपचारिक पत्र के माध्यम से स्वीकार कर लिया.
उन्होंने कहा, ‘‘उलेमा काउंसिल ने उन्हें समर्थन देने की घोषणा की, और उन्होंने 17 मांगें रखीं. उन्होंने (एमवीए) एक औपचारिक पत्र दिया है जिसमें कहा गया है कि हम इन 17 मांगों को स्वीकार करते हैं. अगर कोई कोई मांग रखता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मैं सिर्फ यह सवाल करता हूं कि इनमें से कौन सी मांगें स्वीकार्य हैं. मैं आपको एक मांग बताता हूं.’’
फडणवीस ने कहा, ‘‘एक मांग यह है कि 2012 से 2024 तक हुए दंगों में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सभी मामलों को खारिज किया जाए और वापस लिया जाए. मैं पूछना चाहता हूं कि यह किस तरह की राजनीति है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई पार्टी ऐसे दंगाइयों को साथ लेकर चुनाव लड़ना चाहती है और हम बंटे रहेंगे (बटेंगे), तो हमें काट दिया जाएगा (कटेंगे).’’
धार्मिक एकता पर भाजपा के रुख पर प्रकाश डालते हुए फडणवीस ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा गढ़े गए नारे का हवाला देते हुए कहा, ‘‘जब योगी कहते हैं, ‘बटेंगे तो कटेंगे’, तो वे हमें इतिहास की याद दिला रहे हैं.’’ फडणवीस ने कहा, ‘‘यह भूमि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे हमारे पूर्वजों की है, रजाकारों की नहीं.’’
इस परिदृश्य को ‘धर्म युद्ध’ के रूप में संदर्भित करते हुए फडणवीस ने कहा, ‘‘हमारा धर्म युद्ध ‘यतो धर्मस्ततो जयः’ के सिद्धांत पर आधारित है - जहां सत्य है, वहां विजय है.’’ उन्होंने झूठ का विरोध करने और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया.
विपक्षी एमवीए के उलेमा काउंसिल जैसे समूहों के साथ कथित गठबंधन के जवाब में, फडणवीस ने तर्क दिया, ‘‘अगर 1920 में कांग्रेस ने वंदे मातरम का केवल आधा हिस्सा गाने की मांग नहीं मानी होती, तो विभाजन का बीज नहीं बोया जाता.’’ उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह की मिसालों ने ऐतिहासिक रूप से सांप्रदायिक विभाजन में योगदान दिया है, और कहा, ‘‘इसलिए हमें ‘धर्म युद्ध’ की आवश्यकता है.’’
फडणवीस ने एमवीए पर, जिसमें कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल शामिल हैं, राजनीतिक लाभ के लिए जाति और धार्मिक विभाजन का फायदा उठाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने इस दृष्टिकोण को विभाजनकारी करार दिया और चेतावनी दी कि कांग्रेस की नीतियों का उद्देश्य ओबीसी समुदाय को विभाजित करना है, जो संभवतः कांग्रेस के सत्ता में आने पर एससीध्एसटी समूहों के लिए आरक्षण को प्रभावित कर सकता है. फडणवीस के अनुसार, इन समूहों को विभाजित करने से उनका सामूहिक प्रभाव कमजोर होता है, जिससे वे एक ‘दबाव समूह’ से विखंडित समुदायों में बदल जाते हैं.
महायुति के सत्ता में आने पर सीएम कौन होगा, यह पूछे जाने पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘‘कोई योजना नहीं है, कोई तारीख नहीं है. हमें यकीन है, हम अपनी सरकार बनाएंगे. जैसे ही नतीजे आएंगे, तीनों पार्टियां एक साथ बैठेंगी और तय करेंगी कि सीएम किसे बनाया जाएगा... मैं इस प्रक्रिया में नहीं हूं. मैं अपनी पार्टी में एक क्षेत्रीय नेता हूं, यह सब राष्ट्रीय अध्यक्षों का खेल है.’’