आवाज द वाॅयस/पुणे
चुनावी नामांकन वापस लेने की आखरी तारीख खत्म हो गयी और अंतिम उम्मीदवारों की स्थिति अब साफ़ हो गयी है. विभिन्न राजनीतिक दल अपने अंतिम उम्मीदवारों के प्रचार के लिए कमर कस ली है. कुछ दिनों पहले अजित पवार ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, जिसमें चार मुस्लिम प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है.
ये चार मुस्लिम स्टार प्रचारक
चुनाव का मतलब ही उम्मीदवार, भाषण और प्रचार है.प्रचार के माध्यम से सभी दल मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं, जिसके लिए स्टार प्रचारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.एनसीपी ने कुल 27 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की.इस संदर्भ में पार्टी अध्यक्ष अजित पवार ने ट्वीट करके जानकारी दी.
इसमें राज्य के कद्दावर नेता और मंत्री हसन मुश्रीफ के साथ हाल ही में विधान परिषद के लिए चुने गए इदरीस नायकवाड़ी, जलालुद्दीन सैयद और वसीम बुरहान जैसे मुस्लिम प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है.
महाराष्ट्र में सिर्फ गुलाबी लहर चलेगी
कागल विधानसभा से आने वाले हसन मुश्रीफ पार्टी और अल्पसंख्यक समाज के महत्वपूर्ण नेता हैं. लेकिन हसन मुश्रीफ की छवि धर्म से परे जाने वाली है, जिसे उन्होंने सावधानी से संजोया है.किसी एक धर्म के नेता न होकर उन्होंने एक समावेशी छवि बनाई है.राजनीति और समाज सेवा के दौरान उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए हैं.वर्तमान में वे राज्य सरकार में मेडिकल एजुकेशन और विशेष सहायता मंत्री के रूप में कार्यरत हैं.
वहीं वसीम बुरहान राज्य के अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं.स्टार प्रचारक के रूप में चयन के बाद वसीम ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से पार्टी का आभार व्यक्त किया.पोस्ट में उन्होंने कहा, “स्टार प्रचारक के रूप में मेरी नियुक्ति के लिए आदरणीय दादा और आदरणीय तटकरे साहेब का तहे दिल से आभार.स्टार प्रचारक के रूप में निश्चित ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विचार, संकल्प और उद्देश्य को अंतिम मतदाता तक पहुंचाने के लिए उत्सुक हूं.
साथ ही अजित पवार के सफल नेतृत्व में महाराष्ट्र की प्रगति के लिए प्रयास करूंगा.”राज्य में आचार संहिता लागू होने से पहले अजित पवार की एनसीपी ने इदरीस नायकवाड़ी को विधान परिषद में मौका दिया था.इदरीस नायकवाड़ी के रूप में विधान परिषद में मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व कायम रहा है.वर्तमान में वे एनसीपी के अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं.
इस चयन के बारे में राजनीति के जानकार प्रदीप देशमुख कहते हैं, “वह व्यक्ति जो अच्छी तरह से बोल सकता है और पार्टी की विचारधारा को आम जनता तक अच्छे तरीके से पहुंचा सकता है. किसी भी राजनीतिक दल द्वारा स्टार प्रचारक चुना जाता है.इसमें जाति-धर्म का कोई संबंध नहीं होता.लेकिन किसी खास समाज को आकर्षित करने के लिए, उस समाज के व्यक्ति को पद देकर समीकरणों का तालमेल बैठाया जाता है.”
आगे वे कहते हैं, “लोकसभा चुनाव में अजित पवार को अल्पसंख्यक, विशेष रूप से मुस्लिम समाज का समर्थन नहीं मिला.इसी वजह से अजित पवार ने इदरीस नायकवाड़ी को विधान परिषद में मौका दिया और स्टार प्रचारकों की सूची में मुस्लिम चेहरों को भी शामिल किया है.इससे यह प्रतीत होता है कि वे मुस्लिम समाज का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं.”
स्टार प्रचारक क्या होते हैं?
चुनाव आते ही विभिन्न दलों द्वारा उनके स्टार प्रचारकों की सूची जारी की जाती है.लेकिन ये स्टार प्रचारक क्या काम करते हैं और स्टार प्रचारक किसे कहा जाता है, यह सवाल उठता है.चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दल सेलिब्रिटी या मशहूर नेताओं को स्टार प्रचारक के रूप में चुनते हैं.
इन स्टार प्रचारकों पर मतदाताओं को आकर्षित करने और उन पर प्रभाव डालने की खास जिम्मेदारी होती है.स्टार प्रचारकों के भाषण सुनने और उनकी रैलियों को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है.उनके लोगों के विचार बदलने की संभावना रहती है.
कौन होंगे अजित पवार गुट के स्टार प्रचारक?
अजित पवार, प्रफुल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, नरहरी झिरवाल, अदिति तटकरे, नितिन पाटिल, मुश्ताक अंतुले, सयाजीराव शिंदे, बृज मोहन श्रीवास्तव, अमोल मिटकरी, सय्यद जलालुद्दीन, धीरज शर्मा, रूपाली चाकणकर, इदरीस नायकवाड़ी, राजेंद्र जैन, सुरज चव्हाण, कल्याण आखाडे, सुनील मगरे, महेश शिंदे, राजलक्ष्मी भोसले, सुरेखा ठाकरे, अनिकेत तटकरे, उदयकुमार आहेर, शशिकांत तरंगे, वसीम बुरहान, प्रशांत कदम, संध्या सोनवणे, श्री. सिद्धार्थ कांबले, सायली दलवी, बालासाहेब को लेकर, सलीम सारंग, चैतन्य (सनी) मानकर ये सभी कुल 36 लोग एनसीपी के स्टार प्रचारक होंगे.
मुस्लिम समाज के मत निर्णायक होंगे
मुस्लिम समाज के मत निर्णायक माने जाते हैं, जैसा कि हमने पिछले लोकसभा चुनाव में देखा. विधानसभा चुनाव में भी ये मत निर्णायक सिद्ध हो सकते हैं, ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं. इसलिए सभी राजनीतिक दल मुस्लिम समाज का समर्थन प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं. इसी पृष्ठभूमि में अजित पवार की एनसीपी ने यह कदम उठाया है, ऐसा कहा जा रहा है.