शाह ताज खान/ पुणे
महाराष्ट्र के अकोला जिले के गौली समुदाय में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1982से दो महिलाएं पुरजोर तरीके से लगे हैं. उनमें से एक नसरीन बानो का कहना है कि उन्होंने तालीम पूरी कर कहीं नौकरी करने की बजाए बच्चों को शिक्षित करने को प्राथमिकता दी. आज वो अपने काम से बहुत संतुष्ट हैं.
महाराष्ट्र की जनजाति समुदायों में से एक गोली समाज से ताल्लुक रखने वाली नसरीन बानो ने इतिहास से एमए किया. इसके बाद आगे बढ़ने के कई मौके मिले. ऐसे में वह अपना करियर बनाने को शहर जा सकती थीं. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
वह कहती हैं मैंने देखा और महसूस किया कि उनके समाज मंे बच्चों की शिक्षा को लेकर लोग गंभीरता नहीं हंै. ऐसे में उन्होंने गोलीपुरा मोहल्ला में बच्चांे को पढ़ाना शुरू किया. गोलीपुरा मुस्लिम बहुल गांव है. इस समाज के लोग पशु पालना और दूध बेचने का धंधा करते हंै.
नसरीन बानो का कहना है कि 80के दशक में बच्चों, विशेषकर लड़कियों की शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं थे. लड़के बड़े होने पर पुश्तैनी पेशा अपना लेते थे या खेतों में काम करने लगते थे. नसरीन बानो के प्रयासों से इस समाज की मानसिकता बदली है. अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना शुरू कर दिया है.
शुरुआत में केवल चार बच्चे पढ़ने आया करते थे. बाद मंे बच्चों की संख्या बढ़ने का लंबा इंतजार करना पड़ा. नसरीन गर्व से बताती हैं कि यहां पढ़कर निकलने वाले कई बच्चे शहर जाकर अच्छा कर रहे हैं.
नसरीन बानो की छोटी बहन शबाना परवीन ने एलएलबी और एलएलएम करने के बाद नसरीन बानो के अभियान और संघर्ष को गति देने को समर्थन दे रही हैं. शबाना परवीन के प्रयासों का परिणाम है, लड़कियां शिक्षा के अलावा कौशल सीखकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं.
नसरीन का कहना है कि शिक्षा के साथ लड़कियों को सिलाई, कढ़ाई, मेंहदी और कंप्यूटर का भी प्रशिक्षण दे रही हंै, ताकि उन्हें खेतों में नहीं जाना पड़े. सम्मान के साथ जिंदगी जी सकें. परिवार को आर्थिक सहयोग दे सकें.
नसरीन ने आवाज द वाॅयस से कहा, ‘‘हमारे समाज में शिक्षा को अहमियत नहीं दी जाती थी. मगर हमारे माता-पिता ने हमें शिक्षा के गहनों से सजाया. मैं कभी-कभी बच्चों को पढ़ाते समय अपनी कहानी बताती हूं ताकि लड़कियां शिक्षा की अहमियत समझ सकें. वह कहती हैं, शिक्षा से दूरी गरीबी भी एक बड़ी वजह है. वह बताती हैं कि दोनों बहने बच्चों के अभिभावकों को सरकारी योजनाओं और इसके लाभों की भी जानकारी देते हैं.
उन्होंने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने से स्थिति बदल सकती है. सरकारी योजनाएं बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए सहायक हैं. नसरीन आगे कहती हैं कि जो बच्चे यहाँ पढ़ने आते हैं, वे अच्छा नाम कमा रहे हैं. उन्हें देखकर बहुत खुशी होती है.
शिक्षा के प्रचार-प्रसार से पूरे भारत में लोग जागे हैं. लेकिन गौली समाज में अभी भी चीजें ज्यादा नहीं बदली हैं. नसरीन कहती हैं कि प्रगति का एकमात्र तरीका शिक्षा है. हमने बच्चों के लिए शिक्षा पाठ्यक्रम और लड़कियों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किए हैं.