प्रयागराज महाकुंभ का हरित शिविर बना पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 22-01-2025
Eco-friendly pandals set new benchmarks with Green Kumbh, plastic-free designs
Eco-friendly pandals set new benchmarks with Green Kumbh, plastic-free designs

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
 
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में एक 'हरित' शिविर न केवल अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बल्कि स्थिरता और प्लास्टिक मुक्त पंडालों के प्रति अपनी उल्लेखनीय प्रतिबद्धता के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन गया है.
 
गंगेश्वर बजरंगदास चौक के पास सेक्टर 9 में स्थित, 9 एकड़ में फैले इस दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के शिविर में 15 जनवरी से 16 फरवरी तक चलने वाले 33 दिवसीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. आगंतुक दिव्यता, संस्कृति और आधुनिक तकनीक के एक सुंदर मिश्रण का अनुभव कर रहे हैं, जिसमें पर्यावरण के अनुकूल मोड़ भी है.
 
यह शिविर 9+ एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसकी सीमा 400 x 750 फीट तक फैली हुई है. सबसे खास विशेषताओं में से एक कृष्ण पाल और उनकी टीम के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय कारीगरों द्वारा बनाई गई 16 हस्तनिर्मित चित्रों की श्रृंखला है. शिविर के चारों ओर प्रदर्शित ये पेंटिंग पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करके बनाई गई हैं. इस पहल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सिंगल-यूज प्लास्टिक और पीवीसी का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
 
सततता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया पूरा पंडाल जूट, घास और कपड़े जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल करके बनाया गया है. शिविर के भीतर 60 से ज़्यादा पर्यावरण के अनुकूल कॉटेज बनाए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संरचना का हर हिस्सा पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों का पालन करता हो.
 
दिव्य ज्योति संस्थान की प्रवक्ता रुचिका भारती ने सरकार के स्थिरता अभियान के अनुरूप पर्यावरण जिम्मेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला. "सरकार की पर्यावरण पहल के हिस्से के रूप में, हम भी हरित कुंभ सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं.
 
हमारा शिविर पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त है. यहां तक कि सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला फ्लेक्स भी जूट से बना है और घास और तिल जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पहल का उद्देश्य महाकुंभ में प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाना है," उन्होंने कहा.
 
रुचिका ने आगे जोर दिया कि संस्थान के प्रयास इस विश्वास के अनुरूप हैं कि प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध मानव प्रगति की कुंजी है.उन्होंने कहा, "हमारा दृढ़ विश्वास है कि प्रकृति के बिना कुछ भी संभव नहीं है. मानवता के विकास के लिए हमारे पर्यावरण की रक्षा करना आवश्यक है, और यह ग्रीन कुंभ पहल उस उद्देश्य में योगदान करने का एक तरीका है."
 
महाकुंभ में यह पर्यावरण-अनुकूल पहल आगंतुकों और अधिकारियों का समान रूप से महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित कर रही है, जो इस बात के लिए एक नया मानक स्थापित कर रही है कि बड़े पैमाने पर होने वाले आयोजन किस तरह से स्थिरता को अपना सकते हैं.