अजमेर. अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दी नशीन सैयद अफसान चिश्ती ने गुरुवार को दरगाह को लेकर चल रहे विवाद की निंदा करते हुए कहा कि देश के सांप्रदायिक सौहार्द को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए.
यह बयान राजस्थान की एक अदालत द्वारा हिंदू सेना द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करने के बाद आया है. याचिका में दावा किया गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह भगवान शिव का मंदिर है.
गुरुवार को एएनआई से बात करते हुए चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज के अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं, और वे न केवल इस्लाम बल्कि हर धर्म से आते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत दुख और आश्चर्य के साथ कह रहा हूं कि न्यायालय ने एक ऐसे दावे को स्वीकार कर लिया है, जिसका कोई आधार नहीं है...हमारा देश बहुत बड़ा है और राष्ट्र सबसे ऊपर है. जो कोई भी भारत की शांति को प्रभावित करने के लिए यह सब कर रहा है, उसे इससे बचना चाहिए. हमारे देश के सांप्रदायिक सौहार्द को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए...ख्वाजा गरीब नवाज के अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं. उनके अनुयायी केवल इस्लाम में ही नहीं, बल्कि हर धर्म में हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हर साल उनके उर्स पर चादर भेजते हैं. उनसे पहले के प्रधानमंत्रियों ने भी ऐसा ही किया है.’’
चिश्ती ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र और प्रधानमंत्री मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया और कहा कि इसमें शामिल लोगों की जांच होनी चाहिए. चिश्ती ने कहा, ‘‘दरगाह को विवादों में घसीटना सभी की आस्था को ठेस पहुंचा रहा है. मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. मैं केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने और उन पर लगाम लगाने का आग्रह करता हूं. हमें संदेह है कि ऐसे लोग (याचिकाकर्ता) भारत के दुश्मनों के साथ सांठगांठ कर रहे हैं...इन लोगों की जांच होनी चाहिए.’’
इससे पहले गुरुवार को दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद जैनुल आबिदीन अली खान ने कहा कि कोई भी व्यक्ति ‘प्रचार’ और ‘व्यक्तिगत हित’ के लिए याचिका दायर कर सकता है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को हुई पत्थरबाजी की घटना का उदाहरण दिया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी.
इस बारे में पूछे जाने पर कि दरगाह क्यों निशाना बन रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका व्यक्तिगत हित है. प्रचार के लिए कोई भी ऐसा कर सकता है. आप किसी को मना नहीं कर सकते.’’