केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने "सीमाहीन और अदृश्य" आतंकी खतरों के प्रति आगाह किया और इनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता पर बल दिया.
'आतंकवाद विरोधी सम्मेलन-2024' के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए शाह ने कहा, "आतंकवादी हमले और उनकी साजिश सीमाहीन और अदृश्य तरीके से हमारे खिलाफ हैं. अगर हमें इससे सटीक तरीके से निपटना है, तो हमारे युवा अधिकारियों को उच्चतम तकनीक से लैस करना होगा, उन्हें प्रशिक्षित करना होगा. हम आने वाले दिनों में इसे प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएंगे."
शाह ने घोषणा की कि गृह मंत्रालय आतंकवाद से निपटने के लिए अपने सक्रिय दृष्टिकोण में अगला कदम उठा रहा है और एक राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी नीति और रणनीति लेकर आएगा.
उन्होंने कहा, "हम आतंकवाद, आतंकवादियों और आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र से लड़ने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा अपनाए गए सक्रिय दृष्टिकोण में अगला कदम उठा रहे हैं. हम एक राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी नीति और रणनीति लेकर आएंगे." शाह ने कहा, "लेकिन जैसा कि मैंने कहा, पुलिस राज्य का विषय है और लड़ाई राज्य पुलिस को ही लड़नी होगी. सूचना देने से लेकर कार्रवाई करने तक सभी (केंद्रीय) एजेंसियां आपका साथ देंगी." शाह ने कहा कि आतंकवाद के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की जीरो टॉलरेंस की नीति को अब वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है और देश ने इससे निपटने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाया है.
उन्होंने कहा, "आजादी के 75 साल बीत चुके हैं. अब तक देश की आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए 36,468 पुलिसकर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है. मैं आज उन सभी को उनके सर्वोच्च बलिदान की भावना के लिए श्रद्धांजलि देना चाहता हूं और देश की ओर से उनके परिवारों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं. पीएम मोदी के देश के प्रधानमंत्री बनने के 10 साल के भीतर भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ एक ठोस रणनीति अपनाई. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के उनके नारे को आज न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है. भारत के अंदर आतंकवाद से लड़ने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाया गया है." गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दो दिवसीय 'आतंकवाद विरोधी सम्मेलन-2024' का आयोजन किया जा रहा है.
गृह मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार, सम्मेलन का मुख्य फोकस 'संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण' की भावना में आतंकवाद के खतरे के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए चैनल स्थापित करके विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल विकसित करना और भविष्य की नीति निर्माण के लिए ठोस इनपुट प्रस्तुत करना है. गृह मंत्रालय के अनुसार, दो दिवसीय सम्मेलन में विचार-विमर्श और चर्चाएं आतंकवाद विरोधी जांच में अभियोजन और कानूनी ढांचा विकसित करने, अनुभवों और अच्छे तरीकों को साझा करने, उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित चुनौतियों और अवसरों, अंतरराष्ट्रीय कानूनी सहयोग और भारत भर में विभिन्न आतंकवाद विरोधी थिएटरों में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की रणनीतियों सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों पर केंद्रित होंगी. गृह मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा कि सम्मेलन में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ पुलिसअधिकारी, आतंकवाद से संबंधित मुद्दों से निपटने वाली केंद्रीय एजेंसियों/विभागों के अधिकारी और कानून, फोरेंसिक, प्रौद्योगिकी आदि जैसे संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं.