सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अब्बास अंसारी की जमीन पर निर्माण करने से रोका

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-01-2025
Supreme Court
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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को बड़ी राहत दी है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ में अब्बास अंसारी की जमीन पर पीएम आवास योजना के तहत गरीबों के लिए घर बनाने की यूपी सरकार की योजना पर रोक लगाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश अब्बास अंसारी की याचिका पर दिया.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय को अब्बास अंसारी की याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करने का भी आदेश दिया गया. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मुख्तार अंसारी की जमीन को अवैध मानते हुए उस पर बुलडोजर चला दिया था. यह जमीन कथित तौर पर मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम पर है, जिसमें अब्बास अंसारी भी शामिल हैं. इस जमीन पर उत्तर प्रदेश सरकार की पीएम आवास योजना के तहत गरीबों के लिए मकान बनाने की योजना है. इसके खिलाफ अब्बास अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

अब्बास अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ के समक्ष दलील दी कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष पंजीकृत है, लेकिन उच्च न्यायालय ने अभी तक इस पर सुनवाई नहीं की है. इस मामले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जमीनी स्तर पर उनका आदेश सरकार के निर्माण पर कोई अस्थायी रोक नहीं है. पिछले साल 21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से अब्बास अंसारी की याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करने को कहा था.

गुरुवार को जब अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई हुई, तो कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि उनके आदेश के बावजूद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अभी तक याचिका पर सुनवाई नहीं की है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई. सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय से अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करने को कहा.

अपने आदेश में पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकारी प्राधिकारियों ने लखनऊ के जैमऊ गांव में स्थित प्लॉट संख्या 93 पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है, जिस पर वे अपना कब्जा होने का दावा कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि यदि किसी तीसरे पक्ष को इस भूमि पर अधिकार दिया गया तो इससे याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति होगी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होने तक मामले पर रोक लगाने का आदेश दिया.

अब्बास अंसारी ने याचिका में दावा किया है कि उनके दादा ने जियामऊ में एक प्लॉट में हिस्सा खरीदा था, जिसका पंजीकरण 9 मार्च 2004 को हुआ था. उन्होंने कथित तौर पर यह संपत्ति अपनी पत्नी राबिया बेगम को उपहार में दी थी, जिन्होंने 28 जून, 2017 को अपनी वसीयत के माध्यम से इसे याचिकाकर्ता अब्बास अंसारी और उसके भाई को दे दिया. याचिका में कहा गया है कि उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, दिल्ली बाग, लखनऊ ने कथित तौर पर 14 अगस्त, 2020 को एक एकपक्षीय आदेश जारी कर भूखंड को सरकारी संपत्ति घोषित किया.

इसके बाद आवेदक और उसके भाई को अगस्त 2023 में जमीन से बेदखल कर दिया गया. अब्बास अंसारी ने सरकारी अधिकारियों के इस फैसले को 2023 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष चुनौती दी. प्रभावित भूखंड के कुछ अन्य सह-मालिकों ने भी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और मामला खंडपीठ के समक्ष पंजीकृत किया गया.

जब अब्बास अंसारी की रिट याचिका 8 जनवरी, 2024 को एकल न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो उन्होंने विरोधाभासी आदेशों से बचने के लिए इसे अन्य मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. अब्बास अंसारी ने दलीलें देते हुए कहा कि उनकी रिट याचिका बार-बार खंडपीठ के समक्ष दायर की गई है, लेकिन उनके पक्ष में कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई गई है, जबकि अन्य याचिकाकर्ताओं को राहत दी गई है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के भूखंड पर कब्जा लेने के बाद प्राधिकारियों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ आवासीय इकाइयों का निर्माण भी शुरू कर दिया है.