नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2023 को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘यूज़र द्वारा वक्फ’ (Waqf by User) प्रावधान को हटाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. हालांकि, अदालत ने फिलहाल इस पर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया और सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि इस प्रावधान के हटने से देशभर में ऐसी वक्फ संपत्तियां, जो वर्षों से धार्मिक उपयोग में हैं लेकिन जिनके पास पंजीकृत दस्तावेज़ नहीं हैं, उनकी स्थिति अनिश्चित हो सकती है.
'वक्फ बाय यूज़र' का मतलब है — ऐसी संपत्ति जिसे लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया हो, उसे वक्फ संपत्ति माना जाता है, भले ही उसके पास कोई औपचारिक दस्तावेज़ न हो.
नए वक्फ संशोधन अधिनियम में इस व्यवस्था को हटा दिया गया है, जिससे अब सिर्फ कानूनी और पंजीकृत दस्तावेज़ों के आधार पर ही वक्फ संपत्ति मानी जाएगी.
पीठ ने केंद्र से पूछा,
"क्या आप बता सकते हैं कि अब 'वक्फ बाय यूज़र' मान्य होगा या नहीं? अगर नहीं, तो यह एक स्थापित व्यवस्था को रद्द करने जैसा होगा."
कोर्ट ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी में बनी अधिकांश मस्जिदों के पास कोई सेल डीड या पंजीकृत दस्तावेज़ नहीं होंगे.
"ऐसी संपत्तियों से अब डीड मांगना अव्यवहारिक है."
पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या केंद्र हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में भी मुस्लिम प्रतिनिधियों को शामिल करने की अनुमति देगा, क्योंकि नए कानून में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान है.
कोर्ट ने कहा कि अधिनियम की वह शर्त, जिसमें कहा गया है कि कोई भी संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी जब तक कि कलेक्टर यह न तय करे कि वह सरकारी ज़मीन नहीं है — व्यवहार में लागू नहीं की जा सकेगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया:
"अगर कोई संपत्ति वक्फ है लेकिन सरकार को शक है कि वह सरकारी जमीन है, तो जब तक जांच नहीं हो जाती, वक्फ को उसका लाभ नहीं मिलेगा."
इस पर CJI खन्ना ने पूछा:
"अगर लाभ नहीं मिलेगा तो किराया कहाँ जाएगा? क्या इसका मतलब है कि वक्फ का उपयोग भी रुक जाएगा?"
मेहता ने स्पष्ट किया कि,"अधिनियम में ऐसा कहीं नहीं कहा गया कि वक्फ उपयोग रुक जाएगा, सिर्फ यह कहा गया है कि निर्णय लंबित रहने तक लाभ नहीं मिलेगा."
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को इस मामले की सुनवाई जारी रखेगा, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या अदालत किसी तरह का स्थगन आदेश देती है या केंद्र सरकार से और स्पष्टीकरण मांगती है.