नई दिल्ली. शुक्रवार को एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के महरौली पुरातत्व पार्क में किसी भी नए निर्माण और नवीनीकरण कार्य पर रोक लगा दी है. इनमें कथित तौर पर 700 साल पुरानी अशिकुल्लाह दरगाह और सूफी संत बाबा फरीद का चल्ला भी शामिल है.
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश जमीर अहमद जमलाना की याचिका पर दिया. याचिका में महरौली पुरातत्व पार्क में स्थित धार्मिक संरचनाओं के संरक्षण की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता का दावा है कि यह 700 साल पुराना है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील निदेश गुप्ता ने अपने दावे के समर्थन में पुरातत्व विभाग की स्थिति रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि ये धार्मिक संरचनाएं करीब 700 साल पुरानी हैं और इनके पुनर्निर्माण से इनकी ऐतिहासिक स्थिति प्रभावित होगी. सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई को साइट प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि कोई अतिक्रमण न हो.
सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा, ‘‘देखते हैं कि कौन सी संरचना नई है और कौन सी पुरानी है.’’
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण अतिक्रमण हटाने के नाम पर इन संरचनाओं को ध्वस्त करने की योजना बना रहा है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 8 फरवरी के अपने आदेश में एलजीवीके सक्सेना की अध्यक्षता वाली एक धार्मिक समिति को इस मामले पर गौर करने को कहा था. जमलाना ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और दावा किया है कि उपराज्यपाल के नेतृत्व वाली समिति इस मामले पर फैसला करने के लिए उपयुक्त नहीं है.