सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से यह स्पष्टीकरण मांगा कि नासिक नगर निगम द्वारा सतपीर दरगाह के विध्वंस के खिलाफ दायर याचिका को तत्काल क्यों नहीं सूचीबद्ध किया गया. यह मामला 8 अप्रैल को उच्च न्यायालय में दायर किया गया था, लेकिन याचिका के सूचीबद्ध होने में देरी हो रही थी.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि यह मामला गंभीर है क्योंकि अगर धार्मिक ढांचे को गिराया गया तो इसका गंभीर प्रभाव होगा. कोर्ट ने विध्वंस पर रोक लगाने का "असाधारण उपाय" अपनाया, यह बताते हुए कि हाई कोर्ट ने अब तक इस मामले की सुनवाई नहीं की है.
कोर्ट ने कहा, "हम यह समझने में असमर्थ हैं कि 9 अप्रैल से अब तक क्या हुआ है, जबकि मामले को सूचीबद्ध करने के लिए प्रयास किए जा रहे थे." अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से इस संबंध में एक रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया और मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को तय की गई.
इस मामले में दरगाह के विध्वंस को लेकर विवाद चल रहा है, क्योंकि नगर निगम अधिकारी इस धार्मिक ढांचे के ध्वस्तीकरण के अभियान में जुटे हुए हैं. याचिकाकर्ता का तर्क है कि यद्यपि याचिका 8 अप्रैल को दायर की गई थी, लेकिन अब तक इसे सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पाहवा और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड जसमीत सिंह ने अदालत में तर्क प्रस्तुत किए.