St. James Church: Oldest Church of Delhi
फ़िरदौस ख़ान
दिल्ली की हर इमारत ख़ुद में इतिहास समेटे हुए है. इन्हीं में से एक है सेंट जेम्स चर्च. कश्मीरी गेट इलाक़े में स्थित यह चर्च दिल्ली का सबसे पुराना चर्च माना जाता है. इसे स्किनर्स चर्च भी कहा जाता है. यह देश के पुराने गिरजाघरों में से एक है.
इतिहासकारों के मुताबिक़ कैवैलरी रेजिमेंट स्किनर्स हॉर्स के स्कॉटिश अधिकारी जेम्स स्किनर ने 1821 में इसकी तामीर शुरू करवाई थी. इसके निर्माण में तक़रीबन 15 साल लगे और 1836 में यह बनकर तैयार हो गया. इसकी अभिकल्पना मेजर रॉबर्ट स्मिथ ने की थी. उस वक़्त बिशप डैनियल विल्सन ने इसकी ज़िम्मेदारी संभाली.
गुज़रते वक़्त के साथ इस गिरजाघर को भी नुक़सान पहुंचा. इसकी बुनियाद कमज़ोर होने लगी और इमारत भी जर्जर होनी शुरू हो गई. ऐसे में इसे सहेजना बहुत ज़रूरी हो गया था. इसके संरक्षण का ज़िम्मा चर्च संरक्षण समिति और दिल्ली विकास प्राधिकरण ने उठाया.
चर्च संरक्षण समिति के अध्यक्ष कमल बलूजा के मुताबिक़ इसके संरक्षण के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ एक समझौता किया गया. इसके तहत 2015 में गिरजाघर के संरक्षण का काम शुरू हुआ, लेकिन कोरोना काल में इसका काम रुक गया. उस दौरान प्रदूषण को नियंत्रित करने की वजह निर्माण कार्यों पर पाबंदी लगा दी गई थी. फिर पिछले साल जुलाई में इसके काम में तेज़ी आई और इसे मुकम्मल कर लिया गया.
चर्च संरक्षण समिति के सदस्य और दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारी चाहते थे कि गिरजाघर को इसके मूल रूप में ही रखा जाए, इसलिए पुराने दस्तावेज़ों और तस्वीरों को देखा गया. इनके आधार पर ही गिरजाघर का रंग-रौग़न किया गया है.
किसी वक़्त इसकी बाहर की दीवारों का रंग बदल कर पीला कर दिया गया था, लेकिन अब इसे फिर से पहले जैसा ही कर दिया गया है. पहले काम की वजह से प्रार्थना पैरिश हॉल में हो रही थी, लेकिन गुज़श्ता 6 अगस्त को उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसे श्रद्धालुओं को समर्पित कर दिया.
हरे-भरे बाग़ों से घिरा यह गिरजाघर आस्था ही नहीं, बल्कि पर्यटन के नज़रिये से भी बहुत ही अहम है. यहां का सुकून भरा माहौल लोगों को अपनी तरफ़ आकर्षित करता है. इसमें तीन बरामदे हैं. इसके बीच में एक आठ कोनों वाला गुम्बद है.
इसकी वेदी के ऊपर रंगीन तस्वीरों वाली कांच की ख़ूबसूरत खिड़कियां हैं. इसके उत्तर में स्किनर परिवार की क़ब्रें हैं.
यहां क्रिसमस, ईस्टर और पाम संडे जैसे त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं.
क्रिसमस के मौक़े पर इसे ख़ूब सजाया जाता है. गिरजाघर क्रिसमस ट्री और बल्बों की रंग-बिरंगी रौशनी से चमक उठता है. क्रिसमस पर ख़ास प्रार्थना होती है और केक काटा जाता है. गिरजाघर के आसपास मेले जैसा माहौल हो जाता है. कोई खिलौने बेच रहा है, तो कोई कुछ और सामान बेच रहा है. महिलाएं और बच्चे रंग-बिरंगी पौशाकों में घूमते हुए नज़र आते हैं.
यहां रविवार को बच्चों को बाइबिल की शिक्षा दी जाती है, ताकि वे यीशु के संदेश को जान सकें और उसके मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारें. गिरजाघर के मैदान में जन्मदिन, सालगिरह और शादी-ब्याह आदि समारोह भी आयोजित किए जाते हैं.
(लेखिका शायरा, कहानीकार व पत्रकार हैं)