श्री कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका वापस लेने पर फैसला रखा सुरक्षित

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 17-10-2024
Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah
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प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुस्लिम पक्ष की उस अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें 11 जनवरी के उस आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी, जिसके तहत न्यायालय ने मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मुकदमों को एक साथ करने का निर्देश दिया था.

जब मामले की सुनवाई हुई, तो मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता तस्लीमा अजीज अहमदी ने कहा कि मुकदमों के एक साथ होने से सभी मामलों का विरोध करने का उनका अधिकार छिन जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि यह एक अपरिपक्व चरण है और मुद्दों को तय करने और साक्ष्य एकत्र करने से पहले मामलों को एक साथ नहीं रखा जाना चाहिए.

अहमदी ने यह भी कहा कि जब तक मुद्दे तय नहीं हो जाते, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि मुकदमे एक जैसे हैं. हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि मुकदमों को एक साथ लाना कोर्ट का काम है और किसी भी पक्ष को इसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है. जैन ने यह भी कहा कि इस तरह की आपत्ति का एकमात्र उद्देश्य कार्यवाही में देरी करना है. उन्होंने कहा कि इस कोर्ट ने 1 अगस्त, 2024 के अपने आदेश में मुद्दे तय करने का निर्देश दिया था, लेकिन आज तक कोई मुद्दा तय नहीं हुआ है और कोर्ट केवल आवेदनों पर सुनवाई कर रहा है. हिंदू पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि मुकदमों को एक साथ लाने का मतलब यह नहीं है कि सभी मुकदमों को लड़ने का अधिकार खत्म हो जाएगा.

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन 18 मुकदमों की सुनवाई कर रहे हैं, जिन्हें एक साथ लाया गया है. न्यायमूर्ति जैन ने 1 अगस्त को हिंदू उपासकों के मुकदमों की सुनवाई को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि सभी मुकदमे सुनवाई योग्य हैं. न्यायालय ने यह भी माना था कि ये मुकदमे सीमा अधिनियम, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम 1991 द्वारा वर्जित नहीं हैं, जो 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक संरचना के रूपांतरण पर रोक लगाता है.

ये मुकदमे हिंदू पक्ष द्वारा शाही ईदगाह मस्जिद की संरचना को हटाने के बाद कब्जे के लिए दायर किए गए हैं.

यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के दौर की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में आरोप है कि इसे भगवान श्री कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया था.

 

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