बिदर कला के लिए पद्म श्री पुरस्कार विजेता शाह राशिद अहमद कादरी बोले - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी में भरोसा जताने में गलत क्या है
मंसूरुद्दीन फरीदी नई दिल्ली
-मोदी सरकार ने मुझे गुमनामी से निकालकर मशहूर किया
-यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुझ पर बड़ा उपकार है
- अब मैंने बीजेपी को वोट देने का ऐलान किया है
ये भावनाएं कर्नाटक के बिदर कला के कलाकार शाह राशिद अहमद कादरी का. आवाज द वाॅयस से बातचीत में वह अपनी भावनाएं दबा नहीं पाए. उन्हें दो दिन पहले बिदर की प्राचीन कला को नया जीवन देने के लिए पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया है.
दिलचस्प बात यह है कि पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त करने के बाद गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में शाह राशिद कादरी ने खुद प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि मैंने सोचा था कि आपकी सरकार मुसलमानों को पद्म श्री पुरस्कार नहीं देगी, लेकिन ऐसा नहीं है. मैं गलत साबित हुआ.
शाह राशिद कादरी का यह बयान कल से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. उन्होंने आवाज द वॉयस से कहा- ‘‘मैंने मोदी जी के बारे में जो कहा वह सहज था. मैंने अपना दिल खोल दिया, जो मेरे दिल और दिमाग में था, वही शब्द मेरी जुबां पर आए. मुझे कोई झिझक महसूस नहीं हुई, न मुझे होनी चाहिए, क्योंकि सरकार ने मुझे दिया है मेरा अधिकार जिससे मैं अब तक वंचित था.’’
उन्होंने आगे कहा कि वह पहले कांग्रेस को वोट देते थे, लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को वोट देंगे क्योंकि उनका अधिकार उन्हें वापस किया गया है.
कर्नाटक के बिदर से संबंध रखने वाले इस कलाकार का कहना है कि मैं लंबे समय से जिस सम्मान का इंतजार कर रहा था, वह मोदी की वजह से मिला है, इसलिए उनके प्रति मेरा समर्थन स्वाभाविक है. यह राजनीति नहीं है.
मैं गैर राजनीतिक व्यक्ति हूं
शाह राशिद कादरी ने स्पष्ट किया कि वह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं. उन्होंने कहा कि मेरा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं. मेरे बयान में किसी तरह की राजनीति की तलाश नहीं करनी चाहिए.
मैंने केवल अपने दिल की बात की है. उन्होंने कहा कि सियासत से उनका कोई संबंध नहीं, न भूतकाल में और न ही भविष्य में किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हूं . मैं केवल अपनी कला से जुड़ा हूं. यह सच्चाई है. पद्मश्री मिलने के बाद भी मुझे लगता है कि मुझे अपनी लड़ाई खुद लड़नी है.
बीजेपी का समर्थन क्यों ?
शाह राशिद कादरी का कहना है कि अगर मैंने कहा कि मैं कांग्रेस को नहीं बीजेपी को वोट दूंगा तो यह मेरी निजी राय और पसंद ह,किसी को इसकी आलोचना या आपत्ति नहीं करनी चाहिए,
मैं आपको बता दूं कि पिछली सरकार के कार्यकाल में मैंने हर साल पद्म श्री पुरस्कार के लिए आवेदन किया और फीस के तौर पर करीब साठ हजार रुपये खर्च किए, लेकिन कभी सकारात्मक नतीजा नहीं निकला.
बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मेरी उम्मीद खत्म हो गई थी. यहां तक कि पद्म श्री पुरस्कार के लिए आवेदन करना भी बंद कर दिया था, क्योंकि आम धारणा है कि बीजेपी मुस्लिमों से नफरत करती है या मुस्लिम विरोधी है.लेकिन इस साल 25 जनवरी को मंत्रालय ने मुझे इस बात की जानकारी दी कि आपको पद्मश्री के लिए चुना गया है.
शाह राशिद कादरी ने आवाज द वॉयस से कहा कि मैं नरेंद्र मोदी का आभारी हूं. यह उनका उपकार है. कला, मेहनत और संघर्ष जिसे अब तक किसी ने स्वीकार नहीं किया, वह मोदी सरकार द्वारा किया गया है. इसके लिए मैं आभारी हूं. एहसान चुकाने के लिए मैं बीजेपी को वोट दूंगा. ये मेरा निजी फैसला है. इसमें कोई राजनीति नहीं.
जीवन बदला, जिम्मेदारी भी
शाह राशिद कादरी ने कहा कि सच तो यह है कि मुझे अपने संघर्ष में किसी सरकार से कोई मदद नहीं मिली. मैंने सब कुछ अपने दम पर किया.मैं अकेला लड़ा. सरकार के ध्यान में आया कि एक आदमी जो इस मरती-मिटती कला को जीवन देने के लिए अंतहीन संघर्ष कर रहा है, जिसके बाद मैंने अस्सी बच्चों को इस कला को बचाने के लिए एक सरकारी योजना के तहत प्रशिक्षित किया.
पद्म श्री पुरस्कार मिलने के बाद मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है. अब मुझे इस कला में नए आविष्कार और पेटेंट मिलेंगे. नई पीढ़ी को इसके प्रति आकर्षित करने के लिए और अधिक व्यवस्थित रूप से काम करना चाहूंगा.
सरकारी मदद की उम्मीद नहीं
बातचीत में शाह रशीद कादरी कहते हैं कि निःसंदेह सरकार ने मुझे पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया है, लेकिन मुझे उम्मीद कम है कि वह कला के प्रचार-प्रसार में उनका किसी भी प्रकार का सहयोग करेगी. अभी भी एक बड़ा सवाल है, अतीत में मैं इस मामले में निराश हो चुका हूं. अभी भी बहुत आशावादी नहीं हूं. जो करना है, खुद ही करना होगा.
कांग्रेस कर रही है राजनीति
उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजनीति में ऐसा कर रही है. मेरे बयान का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है, लेकिन कांग्रेस इसे एक समस्या बना रही है. सभी जानते हैं कि मेरा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. मेरी कला ही मेरा जीवन है और मेरा जीवन मेरी कला है.
कड़ी मेहनत की आवश्यकता
आवाज द वॉयस से बात करते हुए, शाह राशिद कादरी ने कहा कि मैं सभी को संदेश देना चाहता हूं कि वे जो कुछ भी करते हैं, उन्हें पूरी मेहनत और लगन के साथ करें. जुनून के साथ करें. कड़ी मेहनत और समर्पण की गारंटी होगी तो सफलता मिलेगी. आपकी पहचान बनेगी.
महीने से चल रहा रिसेप्शन का सिलसिला
पद्मश्री से सम्मानित शाह राशिद कादरी कहते हैं, जनवरी में विश्व कप के लिए मेरे चुने जाने की घोषणा के बाद से मेरे सम्मान में स्वागत का सिलसिला शुरू हो गया है और अभी भी जारी है. भाजपा नेताओं द्वारा भी स्वागत किए गए हैं.
इससे मेरा जीवन बदल गया है. गुरुवार को पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुए चौबीस घंटे बीत चुके हैं, लेकिन मैं मीडिया, प्रसिद्धि और भाग्य से घिरा हुआ हूं. इज्जत मोदी जी ने बख्शाा, जिसका मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा.
कला और कलाकार
शाह रशीद अहमद कादरी अनुभवी बिदर कलाकार हैं, जो बेदरी बर्तनों के हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध हैं. इसे दुनिया का सबसे पुराना हस्तशिल्प माना जाता है. बिदर कला में कई नए पैटर्न और डिजाइन पेश करने के लिए राशिद कादरी को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
बिदर एक लोक कला है जो परंपरागत रूप से कर्नाटक के बीदर शहर की देन है. बाद में यह कला धीरे-धीरे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश तक फैल गई.25 जून 1955 को जन्मे कादरी एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो अपने पुरखों के जमाने से बिदर क्राफ्ट से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने पीयूसी तक पढ़ाई की है. बिदर हस्तकला को राशिद कादरी ने नया आयाम दिया है. राशिद कादरी ने बचपन में ही बीदर वेयर हैंडीक्राफ्ट के पारंपरिक पारिवारिक शिल्प में हाथ बटाना शुरू कर दिया था.