शब्बीर शाह तिहाड़ जेल में चाहते हैं टेलीफोन सुविधा, दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-11-2024
Shabir Shah
Shabir Shah

 

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की याचिका पर नोटिस जारी किया, जो एनआईए द्वारा दर्ज आतंकी फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद है. उन्होंने तिहाड़ जेल में टेलीफोन और ई-मुलाकात सुविधा का लाभ उठाने के लिए जांच एजेंसी से एनओसी की आवश्यकता वाले परिपत्र को चुनौती दी है.

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने याचिका पर नोटिस जारी किया और अधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले को 13 फरवरी को सूचीबद्ध किया गया है. शब्बीर अहमद शाह ने टेलीफोन और ई-मुलाकात सुविधा को फिर से शुरू करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसे अभियोजन एजेंसी से एनओसी की आवश्यकता वाले परिपत्र के मद्देनजर रोक दिया गया था.

वकील प्रशांत प्रकाश के माध्यम से एक याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता एमएस खान ने तर्क दिया कि पहले यह सुविधा थी. हालांकि, परिपत्र जारी होने के बाद इसे वापस ले लिया गया था. एनआईए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए और कहा कि यह मामला एनआईए से जुड़ा नहीं है. यह डीआईजी रेंज से जुड़ा हुआ है. टेलीफोन और ई-मुलाकात सुविधा का लाभ उठाने के लिए पूर्व अनुमति/एनओसी की आवश्यकता होती है. उन्होंने अदालत से दिल्ली के पुलिस आयुक्त को पक्षकार बनाने का आग्रह किया.

दूसरी ओर, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन एजेंसी की एनओसी की आवश्यकता है ,जो इस मामले में एनआईए है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने 22 अप्रैल, 2024 को परिपत्र जारी किया, जिसमें कैदियों को फोन कॉल और ई-मुलाकात सुविधा के विस्तार के संबंध में दिल्ली की सभी जेलों में एकरूपता लाने के लिए कुछ स्पष्टीकरण पेश किए गए.

आगे कहा गया है कि 22 मई 2024 को एनआईए ने 22 अप्रैल 2024 के परिपत्र में एक परिशिष्ट जारी किया, जिसमें अन्य स्पष्टीकरणों के साथ यह स्पष्ट किया गया है कि 22 अप्रैल 2024 को या उसके बाद ई-मुलाकात और टेलीफोन सुविधा की अनुमति केवल जांच एजेंसी से एनओसी प्राप्त होने के बाद ही दी जानी चाहिए और पहले से ही सुविधा का लाभ उठा रहे कैदियों के लिए उक्त सुविधा जांच एजेंसी से एनओसी प्राप्त होने तक लागू रहेगी. यह भी कहा गया है कि 24 मई 2024 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा एक जवाब दिया गया था, जिसमें उन्होंने याचिकाकर्ता को ई-मुलाकात और कॉलिंग सुविधा प्रदान करने के लिए सहमति नहीं दी थी.