प. बंगाल के कई हिस्सों में हिंदुओं पर ‘बांग्लादेश स्टाइल के हमले’ हो रहे: सुवेंदु अधिकारी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 02-01-2025
 Suvendu Adhikari
Suvendu Adhikari

 

कोलकाता. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) और भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने बुधवार को आरोप लगाया कि राज्य के कई हिस्सों में ‘हिंदुओं पर बांग्लादेश शैली के हमले’ हो रहे हैं. भाजपा नेता ने विशेष रूप से उत्तर दिनाजपुर जिले की एक घटना का उल्लेख किया, जहां बदमाशों के एक समूह ने कथित तौर पर ‘बिना उकसावे के हिंदुओं पर हमला किया और लूटपाट की.’

सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में हिंदुओं पर बांग्लादेशी शैली के हमले हो रहे हैं. इस बार उत्तर दिनाजपुर जिले के दालखोला पुलिस स्टेशन के अंतर्गत लोहापूंजी के बभनिया गांव में बदमाशों के एक समूह ने बिना उकसावे के हिंदुओं पर हमला किया और लूटपाट की. बदमाशों ने 60 वर्षीय महिलाओं और बच्चों सहित किसी को भी नहीं बख्शा. एक गर्भवती महिला पर हमला किया गया. एक व्यक्ति को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसका सिर फट गया. हिंदू परिवार पर हुए क्रूर हमले को वीडियो में देखा जा सकता है.’’

सुवेंदु अधिकारी ने आगे आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के हिंदू लगातार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वोटबैंक राजनीति का शिकार बन रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल के हिंदू लगातार ममता बनर्जी की वोटबैंक राजनीति का शिकार बन रहे हैं. मैं बंगाल पुलिस के डीजीपी से आग्रह करना चाहूंगा कि वे कड़ी कार्रवाई करें ताकि अपराधी ऐसा दोबारा करने के बारे में सोच भी न सकें. भारत के मानवाधिकार आयोग और महिला अधिकार आयोग की टीमों को गांव का दौरा करना चाहिए और घटना का संज्ञान लेना चाहिए. उन्हें इस बात की प्रत्यक्ष जानकारी होनी चाहिए कि क्या हुआ.’’

इससे पहले सोमवार को, सुवेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ चौकियों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के प्रयासों में बाधा डालने का आरोप लगाया था. अधिकारी ने कहा, ‘‘मैंने इस बात का ब्यौरा दिया कि किस तरह (राज्य सरकार द्वारा) केंद्र और गृह मंत्रालय के साथ असहयोग किया जा रहा है...संयुक्त बैठकें नहीं की जा रही हैं, केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ कोई समन्वय नहीं है, और पुलिस ने पिछले साल बीएसएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए सभी 1500 घुसपैठियों और इस साल 1000 को रिहा कर दिया है...17 बीएसएफ चौकियों के लिए भूमि आवंटित नहीं की गई है, बीएसएफ के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाया जा रहा है और प्रभारी अतिरिक्त डीजीपी (पश्चिम बंगाल) सीधे बीएसएफ की निंदा कर रहे हैं...देश और बंगाली समुदाय के हित में राजनीति बंद होनी चाहिए.’’

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि राज्य पुलिस सीमा पार अपराधियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने में विफल रही है, जिनमें से कई सत्तारूढ़ पार्टी के संरक्षण में काम करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने बहुत कोशिश की है. राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने में दिलचस्पी नहीं रखती है.’’

भाजपा नेता अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) की कुल लंबाई 2,216.7 किलोमीटर है, जिसमें से 1,647.446 किलोमीटर पर बाड़ लगाई जा चुकी है. हालांकि, 569.254 किलोमीटर पर बाड़ लगाने का काम अभी बाकी है. उन्होंने कहा, ‘‘इन शेष अंतरालों में से 456.474 किलोमीटर को बाड़ लगाने के लिए व्यवहार्य माना जाता है. वर्तमान में 456.474 किलोमीटर में से 284.56 किलोमीटर में बाड़ लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले चल रहे हैं, जो घुसपैठ को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है. कुल 133 भूमि अधिग्रहण (एलए) मामले हैं, जो 284.56 किलोमीटर या 1422.81 एकड़ क्षेत्र को कवर करते हैं. इनमें से 120 मामलों (255.42 किमी / 1,350.19 एकड़) को राज्य सरकार से कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. हालांकि, 03 मामले (3.5 किमी / 6.69 एकड़) राज्य सरकार से कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं और 10 मामले (25.64 किमी / 65.94 एकड़) अभी भी जिला एलए अधिकारियों से राजस्व दस्तावेजों की कमी के कारण राज्य सरकार को मंजूरी के लिए प्रस्तुत करने के लिए लंबित हैं.’’

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 18 मामलों (72.979 किमी) में अभी तक बीएसएफ को कोई जमीन नहीं सौंपी गई है. उन्होंने कहा, ‘‘शेष 63 मामलों (143.405 किमी रु 778.575 एकड़) के लिए, जहां राज्य सरकार से मंजूरी मिल गई है, जिला भूमि अधिग्रहण अधिकारियों की धीमी लंबित मूल्यांकन प्रक्रियाओं के कारण भुगतान नहीं किया जा सका.’’

अधिकारी ने आगे दावा किया कि सीमा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सीमा चौकियों (बीओपी) से संबंधित कुल 17 भूमि अधिग्रहण (एलए) मामले लंबित हैं. उन्होंने दावा किया, ष्जिन 10 मामलों को राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिली है, उनमें से 04 मामलों में भुगतान किया गया है, लेकिन बीओपी के लिए जमीन अभी तक बीएसएफ को नहीं सौंपी गई है. इसके अलावा, लंबित भूमि मूल्यांकन के कारण 06 मामले लंबित हैं. दो मामले अभी भी राज्य कैबिनेट की मंजूरी के लिए लंबित हैं और 05 मामले राजस्व रिकॉर्ड के लिए लंबित हैं.’’

अधिकारी ने राज्य पुलिस पर सीमा पार अपराधों, विशेष रूप से तस्करी, मवेशियों की तस्करी और फेंसेडिल और याबा गोलियों जैसी दवाओं की आवाजाही को नियंत्रित करने में बीएसएफ के साथ असहयोग करने का भी आरोप लगाया था.

उन्होंने कहा, ‘‘ड्रग तस्करी एक और सीमा पार अपराध है, जहां ड्रग्स को अंदरूनी इलाकों से सीमा के पास लाया जाता है. हालांकि, राज्य पुलिस कभी भी फेंसेडिल/याबा टैबलेट आदि के लिए अंदरूनी इलाकों में फार्मा दुकानों की जांच नहीं करती है ताकि सीमा पार बांग्लादेश में उनकी तस्करी को रोका जा सके.’’ अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने संस्थागत तंत्र के साथ सीमा सुरक्षा ग्रिड बनाने के निर्देश जारी किए हैं.