अयोध्या. प्रत्येक राम नवमी पर, सूर्य भगवान की किरणें अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित राम लला की मूर्ति का ‘तिलक’ करेंगी. यह वैज्ञानिक उपलब्धि सूरज की रोशनी, दर्पण और लेंस की सहायता से हासिल की जाएगी. इसके लिए रूड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों को धन्यवाद, जिन्होंने नव-निर्मित राम मंदिर के लिए इस तरह की एक अनूठी प्रणाली तैयार की है.
पहला प्रदर्शन 29 मार्च को राम नवमी के लिए निर्धारित है, जो हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार राम की जयंती है. परियोजना ‘सूर्य रश्मियों का तिलक’ (सूरज की किरणों से अभिषेक) - एक यांत्रिक प्रणाली है, जिसमें बिजली या बैटरी की आवश्यकता नहीं होती है और इसे लोहे या स्टील के बजाय विशेष रूप से पीतल का उपयोग करके बनाया जाता है.
परियोजना के मुख्य वैज्ञानिक और प्रमुख अन्वेषक एसके पाणिग्रही ने कहा, ‘‘हमने अपने मैन्युअल रूप से संचालित सिस्टम को बनाने में केवल पीतल का उपयोग किया.’’
75 मिमी मापने वाला गोलाकार ‘तिलक’, सिस्टम द्वारा पुनर्निर्देशित सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हुए, चैत्र माह में राम नवमी पर दोपहर के समय तीन से चार मिनट के लिए भगवान राम के माथे पर शोभा देगा. यह व्यवस्था हर साल केवल रामनवमी के अवसर पर ही बनाई जाएगी.
मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थापित किए जाने वाले ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम में उच्च गुणवत्ता वाले दर्पण (एम1 और एम2), एक लेंस (एल1) और विशिष्ट कोणों पर लगे लेंस (एल2 और एल3) के साथ ऊर्ध्वाधर पाइपिंग शामिल है. भूतल के घटकों में दर्पण (एम3 और एम4) और एक लेंस (एल4) शामिल हैं.
पाणिग्रही ने कहा, ‘‘सूरज की रोशनी एम1 पर पड़ती है, एल1, एम2, एल1, एल2, एम3 (गर्भगृह के बाहर स्थापित) से होकर गुजरती है और अंत में एम4 पर जाती है, जिससे मूर्ति के माथे पर ‘तिलक’ अर्पित हो जाता है.’’
बेंगलुरु स्थित ऑप्टिक्स एंड एलाइड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने बिना किसी लागत के मंदिर के लिए दर्पण, लेंस और झुकाव तंत्र के निर्माण का काम संभाला है. भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने ऑप्टिकल डिजाइन के लिए सीबीआरआई को परामर्श प्रदान किया. सीबीआरआई टीम ने राम नवमी पर आकाश में सूर्य की बदलती स्थिति के अनुकूल तंत्र विकसित किया.
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