एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा, यूएस टैरिफ का भारत पर असर न के बराबर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 17-03-2025
SBI report reveals, US tariffs will have negligible impact on India
SBI report reveals, US tariffs will have negligible impact on India

 

नई दिल्ली. सोमवार को 'एसबीआई रिसर्च' की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक भारत पर यूएस ट्रेड रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव न के बराबर पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि देश अपने निर्यात में विविधता ला चुका है साथ ही मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) पर जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा, भारत वैकल्पिक क्षेत्रों की खोज कर कर रहा है, यूरोप से मध्य पूर्व के माध्यम से अमेरिका तक नए मार्गों पर काम कर रहा है और नए सप्लाई चेन एल्गोरिदम को फिर से तैयार कर रहा है.

रिपोर्ट में बताया गया कि निर्यात में गिरावट 3-3.5 प्रतिशत की सीमा में रहने की उम्मीद है, जिसे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों मोर्चों पर उच्च निर्यात लक्ष्यों के जरिए सुधारा जाना चाहिए.

भारत पिछले सप्ताह अमेरिका द्वारा लगाए गए एल्यूमीनियम और स्टील टैरिफ का भी लाभ उठा सकेगा.

भारत का अमेरिका के साथ एल्यूमीनियम व्यापार के लिए 13 मिलियन डॉलर और स्टील व्यापार के लिए 406 मिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है, जिसका भारत संभावित रूप से लाभ उठा सकता है.

यूएस रेसिप्रोकल टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है और नई दिल्ली और वर्तमान में वाशिंगटन के बीच गहन द्विपक्षीय वार्ता चल रही है.

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह कहा था कि उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी 'द्विपक्षीय व्यापार समझौते' पर अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर के साथ एक दूरदर्शी चर्चा की.

केंद्रीय मंत्री गोयल ने ग्रीर के साथ इस बैठक की एक तस्वीर भी अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल से शेयर की और पोस्ट में लिखा, "हमारा दृष्टिकोण 'इंडिया फर्स्ट', 'विकसित भारत' और हमारी रणनीतिक साझेदारी द्वारा निर्देशित होगा."

केंद्रीय मंत्री गोयल ने इससे पहले अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान ग्रीर और अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक से मुलाकात की थी.

इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण पर बातचीत की.

एसबीआई रिसर्च के अनुसार, भारत निर्यात को लेकर घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई साझेदारों - द्विपक्षीय और क्षेत्रीय दोनों - के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को लेकर बात कर रहा है.

भारत ने पिछले पांच वर्षों में मॉरीशस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ 13 एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं.

देश यूके, कनाडा और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए पर बातचीत कर रहा है, जिसमें सेवाओं, डिजिटल व्यापार और सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों को टारगेट किया गया है.

भारत और न्यूजीलैंड ने भी एक व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभकारी एफटीए के लिए बातचीत शुरू करने की घोषणा की है.

अकेले ब्रिटेन के साथ एफटीए से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार में 15 बिलियन डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है.

रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य के एफटीए संभवतः डिजिटल व्यापार को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

अनुमानों से संकेत मिलता है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ सकती है.