नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि ‘सऊदी विजन 2030’ और भारत का ‘विकसित भारत 2047’ औद्योगिक सहयोग के लिए पूरक अवसर प्रदान करता है, जिससे दोनों देशों के बीच नए संबंध बनते हैं.
राष्ट्रीय राजधानी के हैदराबाद हाउस में सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद के साथ भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक समिति की दूसरी बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में, विदेश मंत्री ने भारत और सऊदी अरब के बीच सदियों से चले आ रहे गहरे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित किया.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक मित्रता है, लेकिन उनकी साझेदारी प्रगति और भविष्य पर केंद्रित है. आर्थिक मोर्चे पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि व्यापार और निवेश द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख स्तंभ बने हुए हैं और उन्होंने प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, संपर्क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर प्रकाश डाला.
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे दोनों देश निश्चित रूप से सदियों पुराने आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हुए दीर्घकालिक मित्रता का आनंद लेते हैं. हमारे नेतृत्व के मार्गदर्शन में, हमने विभिन्न क्षेत्रों में अपने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को गहरा होते देखा है और भले ही हम समय की कसौटी पर खरे उतरे मित्र हों, लेकिन हमारी साझेदारी प्रगति पर आधारित है और भविष्य पर केंद्रित है. आज, मुझे हमारी रणनीतिक साझेदारी परिषद के तहत राजनीतिक सुरक्षा और सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग पर समिति की दूसरी बैठक में आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘सऊदी अरब का विजन 2030 और विकसित भारत 2047 हमारे उद्योगों के लिए नई साझेदारी बनाने के लिए पूरक हैं. मुझे यह जानकर खुशी हुई कि हमारे व्यवसाय वास्तव में गहन सहयोग कर रहे हैं. व्यापार और निवेश हमारी साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और हम उन्हें प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित नए क्षेत्रों में मजबूत कर रहे हैं. हम संस्कृति, पर्यटन और युवा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के प्रयासों का स्वागत करते हैं और हम मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं देखते हैं.’’
दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में की गई महत्वपूर्ण प्रगति की ओर इशारा करते हुए, जयशंकर ने 2024 में पहली भूमि सेना संयुक्त अभ्यास और दो संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों के साथ-साथ प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और रक्षा उद्योग सहयोग में आदान-प्रदान का विस्तार करने का उल्लेख किया. सुरक्षा क्षेत्र में, विदेश मंत्री ने उल्लेख किया कि दोनों देशों ने आतंकवाद का मुकाबला करने, उग्रवाद का मुकाबला करने, आतंकवाद के वित्तपोषण और मादक पदार्थों की तस्करी में सहयोग बढ़ाया है.
जयशंकर ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में हमारी रक्षा साझेदारी में कई पहलें हुई हैं, जिसमें 2024 में पहला थल सेना संयुक्त अभ्यास और दो बार संयुक्त नौसेना अभ्यास शामिल है. हमारे बीच प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर नियमित आदान-प्रदान होता रहा है और अब हमारा सहयोग रक्षा उद्योग और निर्यात तक भी फैल गया है. हमारा सुरक्षा सहयोग भी लगातार बढ़ा है और हम आतंकवाद से निपटने, उग्रवाद से निपटने, आतंकवाद के वित्तपोषण और मादक पदार्थों की तस्करी में सहयोग कर रहे हैं.’’
विदेश मंत्री ने 2.6 मिलियन भारतीय प्रवासियों के कल्याण और आराम को सुनिश्चित करने के लिए अपने सऊदी समकक्ष के प्रति आभार भी व्यक्त किया. जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने बहुपक्षीय मंच पर उच्च स्तरीय जुड़ाव और समन्वय की अच्छी गति बनाए रखी है. सऊदी अरब में भारतीय समुदाय की संख्या 2.6 मिलियन है और मैं उनके कल्याण और आराम को सुनिश्चित करने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं.’’
सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद मंगलवार रात अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए भारत पहुंचे और आज उनके सऊदी अरब के लिए रवाना होने की उम्मीद है.