शिमला. संजौली मस्जिद मामले की सुनवाई शनिवार को शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत में हुई. कार्यवाही के दौरान नगर निगम के सहायक अभियंता ने एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें खुलासा हुआ कि मस्जिद की तीन मंजिलों पर केवल 50 प्रतिशत ही तोड़फोड़ का काम पूरा हुआ है. मस्जिद समिति और वक्फ बोर्ड ने तोड़फोड़ का काम पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा.
स्थानीय निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील भी अदालत में पेश हुए, उन्होंने अनुरोध किया कि उन्हें चल रहे विवाद में पक्ष बनाया जाए. गौरतलब है कि इससे पहले हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को 20 दिसंबर 2024 तक इस लंबित मामले का समाधान करने का निर्देश दिया था. यह मामला मूल रूप से 2010 में शुरू हुआ था.
शनिवार की सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त ने मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड को भूमि स्वामित्व के दस्तावेज और राजस्व रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया. वक्फ बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि वे वर्तमान में राजस्व रिकॉर्ड एकत्र करने की प्रक्रिया में हैं और उपलब्ध होते ही उन्हें जमा कर देंगे. जवाब में आयुक्त ने अगली सुनवाई की तारीख 15 मार्च 2025 तय की. इस तारीख तक मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए. साथ ही वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को सभी संबंधित भूमि दस्तावेज और राजस्व रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश दिया गया. नगर निगम के सहायक अभियंता को भी 15 मार्च 2025 को कोर्ट में अद्यतन स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया.
इससे पहले 5 अक्टूबर 2024 को शिमला नगर निगम आयुक्त ने संजौली मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. यह फैसला मस्जिद कमेटी की ओर से स्वैच्छिक रूप से अवैध ढांचों को गिराने की अनुमति मांगने के बाद लिया गया. आदेश के अनुसार, मस्जिद की दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल को दो महीने के भीतर गिराया जाना था. इस बीच, हिमाचल मुस्लिम संगठन ने जिला एवं सत्र न्यायालय में एक याचिका दायर कर मामले में पक्षकार बनने की मांग की थी. हालांकि, इस याचिका को न्यायालय ने खारिज कर दिया.