जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में आयोजित इफ्तार पार्टी की एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए जमाअत के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना चल रहा है और हम सभी इसके वरदान का भरपूर लाभ उठाने में व्यस्त हैं.
इस पावन महीने को कुरान का महीना भी कहा गया है. यही कारण है कि हम सभी इस महीने के दौरान कुरान के साथ अपना संबंध जितना संभव हो सके उतना गहरा और मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं.
यह महीना तक़वा (ईश- भय) का है. तक़वा हासिल करने के लिए रोज़ा रखना अनिवार्य किया गया है. क़ुरआन में कहा गया “तुम्हारे लिए रोज़ा अनिवार्य किया गया है ताकि तुम नेक बनो.
”क़ुरआन के इस आदेश के मुताबिक़ हम सभी अपने भीतर इस गुण को विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. इस पवित्र महीने को दया और धैर्य का महीना भी कहा जाता है.
रमज़ान की ये सभी विशेषताएँ हमारे सामने रहनी चाहिए. और मुसलमान इस पर यथासंभव ध्यान देते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ पहलू ऐसे हैं जो इस पवित्र महीने में बहुत महत्वपूर्ण होने के बावजूद बहुत कम ध्यान दिए जाते हैं.
एक बात यह है कि यह धैर्य का महीना है. इस महीने में अल्लाह अपने बन्दों को क़ुरआन के सिद्धांतों और ईमान की शर्तों पर दृढ़ रहने की ट्रेनिंग देता है. एक बार पैगंबर हज़रात मुहम्मद (स अ स) के एक साथी ने उनसे से पूछा, "ऐ अल्लाह के रसूल, मुझे कुछ सलाह दीजिए ताकि मुझे कभी किसी से पूछने की ज़रूरत न पड़े."
. वास्तव में, वे साथी इस्लाम का सारांश चाह रहे थे. अल्लाह के रसूल ने इस्लाम को एक वाक्य में सारांशित करते हुए कहा, “कहो, ‘मैं अल्लाह में आस्था रखता हूँ’, और फिर उस पर दृढ़ रहो.”
इस दृढ़ता के साथ ईमान पर अडिग रहना ही इस्लाम है. इस महीने के दौरान भूख, प्यास और इच्छाओं पर नियंत्रण रखकर इसी दृढ़ता का अभ्यास किया जाता है. इसी प्रकार यह महीना संघर्ष का महीना है. यह धैर्य और कड़ी मेहनत का महीना है. हम जानते हैं कि इस महीने में कई जंगें हुईं.
अमीर जमाअत ने कहा कि हमने इन दो पहलुओं का विशेष रूप से उल्लेख किया है क्योंकि भारत के मुसलमान वर्तमान में जिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, मेरा मानना है कि हमें इन दो गुणों अर्थात् दृढ़ता और संघर्ष की विशेष रूप से आवश्यकता है.
परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी क्यों न हों, हमें अपने सिद्धांतों पर दृढ रहना चाहिए. आपको अपने उद्देश्य और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा.
इसके लिए जो भी त्याग और कड़ी मेहनत करनी पड़े, उसके लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. भारत के मुसलमान इन कठिनाइयों के चक्र से विजयी होकर तभी उभर सकते हैं जब वे अपने भीतर इन दो गुणों को विकसित करें.इस आध्यात्मिक इफ्तार पार्टी में राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र के विशिष्ट व्यक्तित्वों सहित दिल्ली के आठ सौ अन्य प्रमुख हस्तियां शामिल थीं.