आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली
देश में धार्मिक जुलूसों के दौरान हुई हिंसा और दंगों की लहर ने सभी को झकझोर कर रख दिया. अचानक इस तरह की घटनाओं ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि ऐसा क्यों हो रहा है और इसके पीछे साजिश कैसे काम कर रही है.
राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा और कई अन्य हिस्सों से हिंसा की सूचना मिली थी. हालांकि तनाव और तनाव के इस दौर में कुछ खबरें ऐसी भी आईं जिसने हर भारतीय को गौरवान्वित किया.
ऐसी ही कहानी राजस्थान के करौली से आई, जहां शोभा यात्रा के दौरान हिंसा और दंगों में शामिल एक महिला मधुलिका सिंह ने अपने घर में पंद्रह मुसलमानों को शरण दी और उनकी जान बचाई. इस घटना ने साबित कर दिया कि देश की असली तस्वीर मधुलिका ने बनाई है न कि दंगाई तत्वों ने.
पूरे देश में उनकी भूमिका की सराहना की जा रही है. उन्हें देश के सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बताया जा रहा है.मधुलिका सिंह देशभर में सुर्खियों का केंद्र हैं. देश के प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों और विद्वानों ने इस बहादुर महिला के हौसले और हौसले को सलाम किया है.
प्रमुख इस्लामी विद्वान और पद्मश्री प्रोफेसर अख्तर अल-वासे कहते हैं, “मेरे लिए यह आश्चर्य नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और हिंसा है. भारत की अंतरात्मा मूल रूप से प्यार और स्नेह है. सुश्री मधुलिका और उनके भाई ने जिस बहादुरी और साहस से लोगों की जान बचाई है,
वह मुझे खुशी देती है और साथ ही गर्व से मेरा सिर भी उठाती है. वह देश की बेटी है. उसने प्यार की गाथा दोहराई है और हमें यही सीखना है. जिसका पाठ हमें ख्वाजा ग़रीब नवाज़ ने सिखाया था.स हनशीलता और सहनशीलता का वही पाठ जो शेख हमदद्दीन नागुरी ने दिया था.”
उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में भारत का प्रतीक हेट बिजनेस नहीं बल्कि मधुलिका सिंह जैसी महिलाएं हैं.प्रो. अख्तर अल-वासे ने कहा, "मैं भारत सरकार से मधुलिका सिंह को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजने का आग्रह करता हूं ताकि ऐसी ताकतें उभर सकें, सकारात्मक भूमिका निभा सकें और भारत को नफरत की आग से बचा सकें."
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद ए मदनी ने उन्हें बधाई दी और उनकी बहादुरी और भावना की सराहना की. उन्होंने कहा, “मधुलिका राजपूत ने करौली, राजस्थान में बदमाशों के सामने खड़े होकर 15 मुस्लिम दुकानदारों को छुड़ाया. मेरे लिए यह कोई मामूली बात नहीं है. भारत का इतिहास दोनों समुदायों के बीच ऐसी हजारों मानवीय घटनाओं से भरा पड़ा है.”
वह कहते हैं, “उन्होंने देश के डीएनए का प्रतिनिधित्व किया और वास्तव में राष्ट्र और मानव जाति के लिए एक महान सेवा की, जिन्होंने एक जीवन को नहीं बल्कि मानवता को बचाया. मैं भारत गणराज्य के राष्ट्रपति और राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान उन्हें पुरस्कार देने और सभी को यह बताने के लिए आकर्षित करना चाहता हूं कि राष्ट्र शांति और सद्भाव के लिए काम करने वालों के साथ खड़ा है.”
पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी मधुलिका सिंह की भावना और चरित्र की सराहना की. वह कहते हैं, “मैंने अक्सर कहा है कि भारत धर्मनिरपेक्ष है क्योंकि हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं. मधुलिका और उनके लोग हिंदुस्तान की इस चिरस्थायी पहचान को दर्शाते हैं. मीडिया को प्रेरित करने के लिए ऐसे लोगों की भूमिका को उजागर करने की जरूरत है.”
अखिल भारतीय सूफी परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती साथ ही मधुलिका सिंह की बहादुरी और भारतीय सांप्रदायिक सद्भाव को सलाम किया.
उन्होंने कहा, "हम सच्ची धर्मनिरपेक्षता की राह पर एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, और फिर भी कभी-कभी ऐसा लगता है कि कुछ नकारात्मक दिमागों की एकता के कारण प्रगति पूरी तरह से रुक गई है."
वह कहते हैं, “आज मधुलिका सिंह की बहादुरी ने शांति और बुद्धिमत्ता की ओर धर्मनिरपेक्षता की यात्रा फिर से शुरू कर दी है. मुझे मधुलिका सिंह पर बहुत गर्व है और उनके साहस के लिए धन्यवाद, जिसने हमारे भाइयों को मौत के डर से बचाया.”
उन्होंने आगे कहा, “मधुलिका सिंह ने हमें सिखाया कि जब हम अकेले एक शक्तिशाली शक्ति हैं, जब हम मानवता के साथ एकजुट होते हैं तो हम सभी अधिक शक्तिशाली होते हैं. मानवता के ब्रांड को बचाने और सद्भाव की रोशनी फैलाने के लिए श्रीमती सिंह को बहुत-बहुत धन्यवाद.
हिंसा का पैटर्न हमारी गौरवशाली गंगा-जामनी संस्कृति को नष्ट करने के लिए हमारे देश के दुश्मनों की गहरी साजिश को दर्शाता है. हिंसा की सुनियोजित और व्यवस्थित हरकतें एक विदेशी साजिश की ओर इशारा करती हैं.मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि इस मामले की सभी कोणों से पूरी जांच की जाए.”
इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद का कहना है कि राजस्थान के करौली में कपड़ों का कारोबार करने वाली दो बच्चों की सिंगल मदर मधुलिका ने हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक अन्य समुदाय (पढ़ें मुसलमान) के 15 निर्दोष सदस्यों की हत्या कर दी है. जीवन बचाकर एक नई मिसाल कायम की. जिन्होंने अपने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में शरण ली.
अहमद कहते हैं, “धार्मिक कट्टरता और पागलपन के बीच उनका व्यवहार भारत और भारतीयों को आश्वस्त करता है कि भारत की विचारधारा और भारत की आत्मा जीवित है. मधुलिका इसका जीता जागता उदाहरण हैं. मैं उनके साहस, दृढ़ विश्वास और शांति, अंतर्धार्मिक सद्भाव और भारतीय भाईचारे की विरासत में मिली परंपरा को सलाम करता हूं जिससे हम सभी प्यार करते हैं.”