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रायसीना डायलॉग 2025: कश्मीर पर पाकिस्तान के कब्जे को सबसे लंबे समय तक चलने वाला अवैध कब्जा बताया जयशंकर ने

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  mahashmi@awazthevoice.in | Date 18-03-2025
Raisina Dialogue 2025: Jaishankar called Pakistan's occupation of Kashmir the longest-lasting illegal occupation
Raisina Dialogue 2025: Jaishankar called Pakistan's occupation of Kashmir the longest-lasting illegal occupation

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

 विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में एक सशक्त और निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कश्मीर पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे को लेकर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका की आलोचना की, साथ ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों में निष्पक्षता और समानता की अहमियत को रेखांकित किया.

जयशंकर ने 'सिंहासन और कांटे: राष्ट्रों की अखंडता की रक्षा' सत्र के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "कश्मीर पर आक्रमण को विवाद बना दिया गया और हमलावर और पीड़ित को एक जैसा मान लिया गया, जो कि पूरी तरह से अनुचित था." उन्होंने कश्मीर के कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान के कब्जे को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से किसी अन्य देश द्वारा क्षेत्र पर "सबसे लंबे समय तक चलने वाला अवैध कब्जा" बताया.

वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता पर बल

जब विदेश मंत्री से पूछा गया कि उन्होंने एक साक्षात्कार में यह टिप्पणी की थी कि "यदि आपके पास कोई व्यवस्था नहीं है, तो आप एक अराजक दुनिया देखेंगे," तो उन्होंने जवाब दिया, "हमें एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता है, ठीक वैसे ही जैसे हमें एक घरेलू व्यवस्था की जरूरत होती है.

जैसे हर देश में एक समाज की जरूरत होती है, वैसे ही एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का होना भी आवश्यक है.अगर कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो बड़ी ताकतें इसका फायदा उठाएंगी, और छोटे देश भी इस स्थिति का लाभ उठा सकते हैं." उन्होंने आगे कहा कि बिना एक मजबूत और निष्पक्ष व्यवस्था के, वैश्विक संबंधों में असंतुलन आ सकता है और इससे संघर्ष बढ़ सकते हैं.

तालिबान और राजनीतिक हस्तक्षेप पर विचार

जयशंकर ने तालिबान के साथ पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंडों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, "आपको याद होगा कि तालिबान के साथ दोहा और ओस्लो प्रक्रियाओं में बातचीत की गई थी.

उस समय इसे उचित माना गया, लेकिन आज जब तालिबान कुछ निर्णय लेता है तो उसे चरमपंथी घोषित किया जाता है. यह दोहरा मापदंड क्यों?" जयशंकर ने यह उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे तालिबान को एक समय में स्वीकार किया गया था और आज उसे आलोचना का सामना करना पड़ता है. यह दर्शाता है कि जब किसी वैश्विक शक्ति को किसी राज्य के साथ सुविधाजनक संबंध होते हैं, तो उसकी नीति बदल जाती है.

संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का महत्व

जयशंकर ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को "वैश्विक नियमों का आधार" करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत के कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र ने "आक्रमण को विवाद में बदल दिया" और इससे कश्मीर के इतिहास पर एक गलत नजरिया पेश किया गया. "यह सिर्फ एक विवाद नहीं था, यह एक आक्रमण था," उन्होंने स्पष्ट किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना कि वैश्विक नियम निष्पक्ष और समान रूप से लागू हों, जरूरी है.

संयुक्त राष्ट्र पर टिप्पणी: निष्पक्षता और मजबूती की आवश्यकता

रायसीना डायलॉग में विदेश मंत्री ने एक मजबूत और निष्पक्ष संयुक्त राष्ट्र का आह्वान किया. उन्होंने कहा, "एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र का मतलब सिर्फ ताकत नहीं है, बल्कि उसे निष्पक्ष होना भी जरूरी है. अगर हम वैश्विक स्तर पर स्थिरता और शांति चाहते हैं, तो हमें एक ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है जो न केवल मजबूत हो, बल्कि सभी देशों के लिए समान रूप से काम करे."

उन्होंने म्यांमार में सैन्य शासन का उदाहरण देते हुए कहा, "जब हम पश्चिमी देशों द्वारा दूसरे देशों में सैन्य हस्तक्षेप को देखते हैं, तो यह हमेशा लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के प्रचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है. लेकिन जब वही ताकतें अन्य देशों में आती हैं, तो उनके इरादे पर सवाल उठाए जाते हैं। यही कारण है कि हमें वैश्विक व्यवस्था के बारे में एक नई और ईमानदार बातचीत की आवश्यकता है."

वैश्विक संतुलन में बदलाव की जरूरत

जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि पिछले आठ दशकों में वैश्विक शक्तियों के बीच संतुलन में बदलाव आया है और अब समय आ गया है कि इसे सही तरीके से समझा जाए. उन्होंने कहा, "हमें एक अलग तरह की बातचीत की जरूरत है. पिछले आठ दशकों से जो वैश्विक व्यवस्था थी, वह अब बदल चुकी है। हमें इस बदलाव को स्वीकार करना होगा और इसे सही दिशा में आगे बढ़ाना होगा."

जयशंकर के इस भाषण ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और भारत की विदेश नीति को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं. उन्होंने जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों की नीतियों पर सवाल उठाए, वह दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर अपने अधिकारों और कूटनीतिक दृष्टिकोण को मजबूती से प्रस्तुत करने के लिए तैयार है.

 एक नया वैश्विक दृष्टिकोण

रायसीना डायलॉग 2025 में एस जयशंकर का यह भाषण अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलाव की आवश्यकता को उजागर करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वैश्विक व्यवस्था का मजबूत और निष्पक्ष होना जरूरी है, ताकि दुनिया भर में शांति और स्थिरता कायम की जा सके.

कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी एक सटीक और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, ताकि कोई भी देश अपने क्षेत्रीय अधिकारों को बनाए रख सके और पूरी दुनिया में संतुलन बना रहे.