गांधी-नेहरू की परंपरा को राहुल गांधी ने किया याद, आदर्श विचार और योगदान के बारे में की बात

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-04-2025
Rahul Gandhi remembered the tradition of Gandhi-Nehru, talked about ideal thoughts and contribution
Rahul Gandhi remembered the tradition of Gandhi-Nehru, talked about ideal thoughts and contribution

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सच्चाई के लिए खड़े होना गांधी-नेहरू की परंपरा रही है तथा वह खुद को नेता के रूप में नहीं देखते बल्कि सत्य का साधक (सीकर ऑफ ट्रुथ) मानते हैं. उन्होंने पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के साथ एक पॉडकास्ट में नेहरू की राजनीति, आदर्श, विचार और योगदान के बारे बात की.
 
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने इस संवाद के दौरान अमेरिकी शुल्क से जुड़े विषय का भी उल्लेख किया और दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झुक गए, जबकि नेहरू और इंदिरा ऐसी परिस्थिति में कभी नहीं झुकते. उन्होंने अपने परिवार के राजनीतिक दर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति वास्तव में सत्य के लिए होती है.
 
'हमें राजनीति नहीं सिखाई'

राहुल गांधी का कहना था कि नेहरू जी ने हमें राजनीति नहीं सिखाई, उन्होंने हमें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया। उन्होंने भारतीय नागरिकों को उत्पीड़न का विरोध करने और अंततः स्वतंत्रता का उदघोष करने का साहस दिया. उनकी सबसे बड़ी विरासत सत्य की उनकी निरंतर खोज में निहित है . एक ऐसा सिद्धांत है जिसने उन सभी चीज़ों को आकार दिया जिनके लिए वे खड़े थे.
 
उनके अनुसार जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने कभी खुद को नेता के रूप में नहीं देखा और उनके परिवार का हमेश यही मानना रहा कि राजनीति सच्चाई के लिए होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं भी खुद को नेता के रूप में नहीं देखता, बल्कि सत्य का साधक हूं.
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत को उन स्थितियों का सामना करने की हिम्मत करनी पड़ेगी जो आज उसके सामने है. उन्होंने दावा किया कि आज भयंकर बेरोजगारी है, पूरा आर्थिक तंत्र विफल हो चुका है, देश में सद्भाव का अभाव है, यह सच्चाई है, इसे आपको स्वीकार करना पड़ेगा.
 
भारत के भविष्य को नुकसान 

राहुल गांधी का कहना था कि इस स्थिति से भारत के भविष्य को नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि गांधी, नेहरू, आंबेडकर, पटेल और बोस ने वास्तव में यही सिखाया कि डर से दोस्ती कैसे करें. राहुल गांधी ने कहा, "महात्मा गांधी एक साम्राज्य के सामने खड़े हुए और उनके पास सच्चाई के अलावा कुछ नहीं था. उन्होंने कहा, "चाहे मैं बिल गेट्स से बात करूं या रामचेत मोची से, मैं उनसे समान जिज्ञासा के साथ मिलता हूं. राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि आज के भारत में, जहां सत्य असुविधाजनक है - मैंने सत्य को अपनी पसंद बना लिया है। मैं इसके लिए खड़ा रहूंगा, चा