Radha Gupta's initiative in Delhi's Shastri Park: A new picture of Hindu-Muslim unity
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
दिल्ली के शास्त्री पार्क क्षेत्र में राधा गुप्ता ने पिछले 15 वर्षों से एक ऐसी अनोखी पहल शुरू की है, जो धर्म और आस्थाओं से ऊपर उठकर मानवता की मिसाल बन गई है. रमजान के महीने में राधा गुप्ता और उनका परिवार मुस्लिम समुदाय के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन करते हैं, जिससे समाज में हिंदू-मुस्लिम एकता और समन्वय का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत होता है.
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक
राधा गुप्ता के इस नेक कार्य में उनके दोनों बेटे, रोहित गुप्ता और राहुल गुप्ता भी उनका साथ देते हैं. उनका मानना है कि समाज में बदलाव और भाईचारे की भावना का निर्माण इसी तरह के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदमों से होता है. यह इफ्तार पार्टी न सिर्फ राधा गुप्ता के परिवार के लिए एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह एक सामाजिक कार्य भी बन चुका है, जो पूरी इलाके में हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देता है.
राधा गुप्ता का कहना है, "ईश्वर और अल्लाह एक ही हैं, बस हमारी पूजा करने का तरीका अलग है. हम सभी को एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करना चाहिए और यही मानवता का असली संदेश है." इस सोच से प्रेरित होकर उन्होंने अपने परिवार के साथ मुस्लिम समुदाय के लिए इफ्तार की व्यवस्था की, जो अब एक परंपरा बन चुकी है.
समाज में सामूहिक प्रेम और शांति का संदेश
रमजान के दौरान इफ्तार पार्टी के बाद, जब मुस्लिम समुदाय नमाज़ अदा करता है, उसी समय राधा गुप्ता और उनका परिवार एक साथ पूजा करते हैं. यह दृश्य समाज में धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय का प्रतीक बन गया है, जहां एक ओर पूजा और नमाज़ के बीच कोई दीवार नहीं, बल्कि एक मजबूत संबंध है.
राधा गुप्ता के इस प्रयास से न केवल उनके परिवार की प्रतिष्ठा बढ़ी है, बल्कि इस पहल ने पूरे इलाके में समाजिक सौहार्द्र और सांप्रदायिक सद्भाव का एक सशक्त संदेश दिया है. ऐसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए, और इंसानियत सबसे ऊपर है.
राधा गुप्ता का मानना है कि समाज में हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, ताकि हम एक बेहतर और एकजुट समाज का निर्माण कर सकें. उनका यह कार्य केवल एक इफ्तार पार्टी से कहीं अधिक है—यह एक मजबूत और संप्रेषणीय संदेश है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी भाईचारे और मानवता के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करेगा.
राधा गुप्ता की पहल एक सशक्त उदाहरण बन गई है, जो हमें याद दिलाती है कि जब हम अपने भेदभाव को मिटाकर एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो न केवल समाज बल्कि मानवता भी ऊपर उठती है.