देश के लगभग आधे आकांक्षी जिलों में तेजी से घटी गरीबी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 11-04-2025
Poverty reduced rapidly in almost half of the aspiring districts of the country
Poverty reduced rapidly in almost half of the aspiring districts of the country

 

नई दिल्ली

देश के लगभग आधे आकांक्षी जिलों में बहुआयामी गरीबी के स्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है, जिसमें मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम और तमिलनाडु जैसे राज्य सबसे आगे हैं. 
 
नीति आयोग के 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023' के आंकड़ों के अनुसार, 106 आकांक्षी जिलों में से 46 प्रतिशत में बहुआयामी गरीबी में गिरावट देखी गई है.
 
पारंपरिक रूप से, गरीबी को किसी व्यक्ति या परिवार के लिए उपलब्ध मौद्रिक संसाधनों का आकलन कर मापा जाता है.
 
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) अब लोगों के वंचित होने और गरीबी को प्रत्यक्ष रूप से देखने से जुड़ा है.
 
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) को अब लोगों के वंचित होने और गरीबी का अधिक प्रत्यक्ष और व्यापक उपाय माना जाता है.
 
यह आर्थिक वृद्धि और विकास, आय और वितरण और राज्य की विभिन्न विकास पहलों के परिणामों को दर्शाता है.
 
इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर यह महसूस किया गया है कि गैर-मौद्रिक उपाय गरीबी के विविध आयामों के लिए मौद्रिक उपायों के पूरक हैं.
 
यह विस्तृत दृष्टिकोण भारत के अलग-अलग संदर्भ में जरूरी साबित होता है, जो गरीबी को दूर करने और समावेशिता के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप को सक्षम बनाता है.
 
यह सुनिश्चित करता है कि 'कोई भी पीछे न छूटे.'
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, कुछ आकांक्षी जिलों ने राष्ट्रीय और राज्य औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है.
 
इससे पहले, सरकार ने 100 जिलों को पिछड़ा घोषित किया था, उनमें से कई पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों में थे.
 
पीएम मोदी ने इस सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "हमने इस दृष्टिकोण को बदल दिया और उन्हें आकांक्षी कहा और मिशन मोड में योजनाओं को लागू किया. प्रतिष्ठित संस्थानों और पत्रिकाओं ने भारत के आकांक्षी जिलों के कदम की प्रशंसा की है."
 
इस बीच, इस साल की शुरुआत में एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारत के ग्रामीण गरीबी अनुपात में 2011-12 में 25.7 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2023-24 में 4.86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि इस अवधि के दौरान शहरी गरीबी 4.6 प्रतिशत से घटकर 4.09 प्रतिशत हो गई है.
 
रिपोर्ट में कहा गया है, "समग्र स्तर पर हमारा मानना है कि भारत में गरीबी दर अब 4 प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत के बीच हो सकती है."