नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के सफल आयोजन की सराहना की, जिसमें 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया.
उन्होंने लोगों का आभार व्यक्त करते हुए इस बात पर जोर दिया कि 'सबका प्रयास' के विचार के माध्यम से भारत ने दुनिया के सामने एकता का एक उल्लेखनीय उदाहरण पेश किया है.
लोकसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज मैं इस सदन के माध्यम से महाकुंभ के सफल आयोजन को सुनिश्चित करने वाले करोड़ों देशवासियों को नमन करता हूं. मैं सभी सरकारी अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, उत्तर प्रदेश के लोगों और विशेष रूप से प्रयागराज के निवासियों को हृदय से धन्यवाद देता हूं."
इस आयोजन की महत्ता पर विचार करते हुए उन्होंने इसकी तुलना गंगा को धरती पर लाने के पौराणिक प्रयास से की.
उन्होंने कहा, "जिस तरह गंगाजी को धरती पर लाने के लिए बहुत बड़ा प्रयास किया गया, उसी तरह इस भव्य महाकुंभ के आयोजन में भी हमने सामूहिक प्रयास देखा. मैंने लाल किले से 'सबका प्रयास' पर जोर दिया था और दुनिया ने अब भारत की ताकत देखी है. मैं इस आयोजन को वैश्विक स्तर पर सफल बनाने के लिए प्रयागराज के लोगों को धन्यवाद देता हूं." प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करने में इस आयोजन की भूमिका को रेखांकित किया. "महाकुंभ ने हमारे बारे में कुछ लोगों के मन में उठने वाले संदेहों और आशंकाओं का कड़ा जवाब दिया है. पिछले साल राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हमें लगा कि भारत अगले हजार वर्षों के लिए तैयारी कर रहा है. अब ठीक एक साल बाद महाकुंभ ने इस विश्वास को और मजबूत किया है." भक्ति आंदोलन और भारत की आध्यात्मिक चेतना को आकार देने में इसकी भूमिका का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसी हस्तियों का जिक्र किया, जिनके प्रयासों ने देश की आजादी में योगदान दिया. "मैं महाकुंभ को इसी भावना की निरंतरता के रूप में देखता हूं, यह देश के अधिक आत्म-जागरूक होने का प्रतिबिंब है. डेढ़ महीने से अधिक समय तक, हजारों भक्तों ने व्यक्तिगत आराम की परवाह किए बिना, बेजोड़ उत्साह के साथ भाग लिया. यह हमारी ताकत है."
पीएम मोदी ने इस आयोजन की वैश्विक मान्यता पर भी प्रकाश डाला और बताया कि उन्होंने हाल ही में अपनी राजनयिक यात्रा के दौरान त्रिवेणी संगम का पवित्र जल मॉरीशस ले गए थे.
"महाकुंभ का उत्साह और आनंद केवल भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि मॉरीशस में भी गूंज रहा था, जहां मुझे पवित्र जल भेंट करने का सौभाग्य मिला."
इस उत्सव की सफलता में युवाओं की भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, "भारत के युवा हमारी परंपराओं को गर्व के साथ अपना रहे हैं. महाकुंभ ने 'एकता के अमृत' को मजबूत किया है - जो इस आयोजन से सबसे महत्वपूर्ण सीख है."
उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि कैसे यह उत्सव राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है.
उन्होंने कहा, "जब देश के कोने-कोने से लोग महाकुंभ में एक साथ आते हैं, तो इससे हमारी राष्ट्रीय भावना मजबूत होती है. यहां बड़े या छोटे का कोई भेद नहीं था, जो साबित करता है कि भारत में एकता गहराई से समाई हुई है. विभाजनों से भरी दुनिया में, भारत विविधता में एकता का एक शानदार उदाहरण है." पीएम मोदी ने लोगों से एकता की इस भावना को बनाए रखने और आगे बढ़ाने का आग्रह करते हुए अपने भाषण का समापन किया. "एकता की इस भावना को बनाए रखना और उसका पोषण करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, जो हमारी सबसे बड़ी ताकत है."