बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा और सीएए 2019 की तिथि बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 22-02-2025
Supreme Court
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नई दिल्ली. बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ चल रही हिंसा और अत्याचारों को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है.

याचिका में नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 के तहत चल रही हिंसा के मद्देनजर भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं के लिए नागरिकता के आवेदनों पर विचार करने के लिए कट-ऑफ तिथि को बढ़ाने की भी प्रार्थना की गई है.

यह याचिका लुधियाना के व्यवसायी और परोपकारी राजेश ढांडा, भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा महोत्सव समिति, लुधियाना के अध्यक्ष और इस्कॉन संचालन बोर्ड के उपाध्यक्ष द्वारा दायर की गई है.

याचिका को विचार के लिए 24 फरवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है. याचिका में भारत सरकार को बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों, उत्पीड़न और अन्य अपराधों को न्याय के हित में रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों में मान्यता प्राप्त तत्काल राजनयिक या अन्य कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है.

इसमें विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से बांग्लादेश में भारत के उच्चायोग को धार्मिक और राज्य प्रायोजित उत्पीड़न का सामना कर रहे प्रभावित हिंदू अल्पसंख्यकों की सहायता करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि आधुनिक इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें कई संप्रभु राष्ट्रों ने अन्य संप्रभु राष्ट्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग किया है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादी विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे कोई भी स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय उपाय करने में विफल रहे हैं. इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, जैन और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक) की स्थिति ऐसी है कि वे बड़े पैमाने पर राज्य प्रायोजित धार्मिक हमलों के कारण पलायन के कगार पर हैं. बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए वहां के मौजूदा प्रशासन पर राजनीतिक दबाव बनाने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है.

याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के पतन के बाद धार्मिक समूहों के हालिया विद्रोह के परिणामस्वरूप बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ सामूहिक हत्याएं, अपहरण, जबरन संपत्ति छीनने और अन्य आपराधिक कृत्य हुए हैं. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में उनके नाम शामिल करने या अधिनियम का लाभ लेने के लिए पात्र होने की कट-ऑफ तिथि 31.12.2014 तय की गई है. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हाल ही में की जा रही सामूहिक हत्याओं और उत्पीड़न के कारण नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत विचार के लिए कट-ऑफ तिथियों को बढ़ाया जाना आवश्यक है. याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश या पाकिस्तान में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप और मदद के हकदार हैं.