रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों को स्थानीय स्कूलों में प्रवेश की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-12-2024
Petition in Supreme Court demanding admission of Rohingya refugee children in local schools
Petition in Supreme Court demanding admission of Rohingya refugee children in local schools

 

नई दिल्ली

म्यांमार के सभी रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों को उनके निवास के पास के स्कूलों में प्रवेश देने के निर्देश देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर की गई याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के 29 अक्टूबर, 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है.

उच्च न्यायालय ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि चूंकि रोहिंग्या विदेशी हैं, जिन्हें कानूनी रूप से भारत में प्रवेश नहीं दिया गया है, इसलिए याचिकाकर्ता को गृह मंत्रालय से संपर्क करना चाहिए.अदालत ने मंत्रालय को कानून के अनुसार मामले को संबोधित करने और प्रतिनिधित्व पर शीघ्रता से निर्णय लेने का निर्देश दिया.

याचिकाकर्ता ने एडवोकेट अशोक अग्रवाल के माध्यम से कहा कि 4 नवंबर, 2024 को गृह सचिव, गृह मंत्रालय, एनसीटी दिल्ली सरकार को एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया गया था, जिसमें यह स्पष्ट करने के लिए एक आदेश जारी करने का अनुरोध किया था कि भारत में रहने वाले सभी शरणार्थी बच्चे अपनी राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21 ए के तहत शिक्षा के हकदार हैं.

28 नवंबर, 2024 को एक अनुस्मारक भेजा गया था, लेकिन आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.याचिका में कहा गया है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 ए 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के मामले में भारतीय और विदेशी नागरिकों के बीच अंतर नहीं करता है.

याचिका में कहा गया है, "यह प्रस्तुत किया गया है कि भारतीय भूमि पर मौजूद इस आयु वर्ग के किसी भी बच्चे को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है."

इसमें यह भी कहा गया है कि प्रतिवादियों, दिल्ली नगर निगम और शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार द्वारा आधार कार्ड न होने के कारण रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों को प्रवेश देने से इनकार करने की कार्रवाई मनमानी, अन्यायपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण, भेदभावपूर्ण, अनैतिक और बाल विरोधी है.

याचिका में कहा गया है, "ये कार्रवाई भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है, साथ ही बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 और दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 के साथ-साथ इसके तहत बनाए गए नियमों का भी उल्लंघन करती है."

याचिका में कहा गया है,"रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों के पास आधार कार्ड या बैंक खाते नहीं हैं, क्योंकि भारतीय अधिकारियों द्वारा इनकी अनुमति नहीं है.इसके अलावा, आधार कार्ड की अनुपस्थिति किसी भी बच्चे को स्कूल में प्रवेश देने से इनकार करने का वैध कारण नहीं हो सकती है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ मामले में 13 सितंबर, 2023 को तय किया था."