आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों के लिए शुक्रवार को दिल्ली की मस्जिदों में नमाज के दौरान दुआ की गयी और ऐतिहासिक जामा मस्जिद समेत विभिन्न मस्जिदों में लोगों ने तिरंगा लहराकर हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान किया.
केंद्रीय सचिवालय के पास संसद मार्ग स्थित मस्जिद में इमाम मोहिबुल्लाह नदवी ने नमाज से पहले एक तकरीर देते हुए कहा, “जो कोई भी किसी निर्दोष को मारता है, वह मानवता की भी हत्या करता है.” नदवी ने कहा, “जिस क्षण कोई व्यक्ति किसी निर्दोष को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचता है, वह मुसलमान कहलाने का अधिकार खो देता है.”
पुरानी दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि शुक्रवार की नमाज के दौरान आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए “दुआ” की गई. उन्होंने कहा, “हमने ईश्वर से प्रार्थना की कि वह निर्दोष लोगों की हत्या को रोके.” हमले के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए सुबह की नमाज के बाद लोग जामा मस्जिद से बाहर निकले. कई लोगों ने भारत के झंडे ले रखे थे, जबकि अन्य के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था: ‘‘आतंकवाद मुर्दाबाद, इंसानियत जिंदाबाद’’, ‘‘सभी की निगाहें पहलगाम पर’’, और ‘‘घर-घर से निकलेगी आवाज, आतंक का होगा विनाश’’.
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। हम इसके (आतंकवाद के) खिलाफ मुसलमान या हिंदू के तौर पर नहीं, भारतीय के तौर पर खड़े हैं.” उन्होंने कहा, “आज हमने जामा मस्जिद की सड़क जाम कर दी है, क्योंकि हम गुस्से में हैं. हमारे हिंदू भाइयों से उनका धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी गई. पूरा इलाका शोक में है. पिछले हमलों के दौरान हमने अपनी आवाज मजबूती से नहीं उठाई. उस चुप्पी ने आज आतंकवादियों को हिम्मत दी है.”
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी उद्धृत किया, जिन्होंने कहा था, “सरकारें आएंगी और जाएंगी, लेकिन देश रहना चाहिये.’’ मोहम्मद मुहद्दीन ने कहा कि दोनों समुदाय शांतिपूर्वक रहते हैं, लेकिन पहलगाम जैसी घटनाएं तनाव पैदा करती हैं. मटिया महल इलाके के इस निवासी ने कहा, “हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि दोषियों को इतनी कड़ी सजा मिले कि कोई भी फिर किसी भारतीय को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत न कर सके.”