पटना: प्रोफेसर असलम आजाद के निधन से उर्दू जगत में शोक की लहर

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 08-06-2022
प्रोफेसर असलम आजाद
प्रोफेसर असलम आजाद

 

आवाज-द वॉयस / पटना

प्रख्यात नेता और पटना विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष और बिहार विधान परिषद में जनता दल यूनाइटेड के उपनेता प्रो. असलम आजाद का आज दोपहर करीब 11 बजे एम्स पटना में निधन हो गया. वह इन दिनों बहुत बीमार थे. प्रोफेसर आजाद को पिछले साल सर्जरी करानी पड़ी थी, जिसके बाद उनकी तबीयत धीरे-धीरे बिगड़ती गई. उन्हें हाल ही में दिल्ली के गंगा राम अस्पताल और मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. करीब बीस दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद गंगा राम पटना लौट आए थे.

उनके आवास हरमत अपार्टमेंट फुलवारीशरीफ में रहने के दौरान उनका इलाज डॉ. विजय प्रकाश के घर पर चल रहा था, लेकिन उनकी तबीयत में कोई खास सुधार नहीं हुआ. तीन दिन पहले उन्हें एम्स पटना में भर्ती कराया गया था. जहां आज उनका निधन हो गया.

उनके बेटे प्रो. आफताब असलम के मुताबिक, उनका अंतिम संस्कार कल सुबह उनके पैतृक गांव मुल्ला नगर, सीतामढ़ी में किया जा सकता है. यह उर्दू जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है. प्रो. असलम आजाद उर्दू फिक्शन आलोचना में एक सम्मानित नाम थे.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधान परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. असलम आजाद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि वह एक अच्छे राजनीतिक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है. मुख्यमंत्री ने ईश्वर से प्रार्थना की कि उन्हें जन्नत में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करें और उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करें.

उन्होंने लंबे समय तक पटना विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग में व्याख्याता के रूप में कार्य किया. 1978 में, प्रो असलम उर्दू के स्वतंत्र विभाग में शामिल हुए. 1990 में, वे पहली बार उर्दू विभाग के अध्यक्ष बने. 2014 में उर्दू विभाग से सेवानिवृत्त हुए. असलम आजाद ने कई साहित्यिक कृतिया लिखीं, जिनमें आजादी के बाद उर्दू उपन्यास, एक उपन्यासकार के रूप में अजीज अहमद, एक कथा लेखक के रूप में करतुल ऐन हैदर, एक महत्वपूर्ण अध्ययन आंगन, उर्दू गैर-मुस्लिम कवि आदि शामिल हैं.

एक स्वतंत्र कवि के रूप में भी असलम की एक विशिष्ट पहचान थी, उनकी कविताओं का संग्रह ‘निशात कर्ब’ लोकप्रिय हुआ. प्रो. असलम आजाद का राजनीतिक सफर 1983 में शुरू हुआ, उन्होंने विभिन्न दलों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में प्रवेश किया, लेकिन सफल नहीं हुए, फिर 2006 में जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए और 11 मई, 2006 से 2012 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे. वह परिषद में जनता दल यूनाइटेड के उपनेता भी बने, जब तक वे सदन में मुस्लिम मुद्दों को उठाते रहे. नीतीश कुमार ने उनकी साहित्यिक प्रतिभा की प्रशंसा की और उन्हें महत्व दिया.

उनके निधन से बिहार समेत पूरे उर्दू जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. लोग उनकी सेवाओं को याद करते हुए सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. श्रद्धांजलि देने वालों में उनके छात्र रशीद, पूर्व विधानसभा सदस्य डॉ इजहार अहमद, पटना के शरिया अमीरात के उपाध्यक्ष मुफ्ती सनाउल हुदा कासमी, मौलाना अनीस-उर-रहमान कासमी, सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शहाब जफर आजमी, अल्हाज इरशादुल्लाह, पीस चाइना के संपादक सैयद मुश्ताक अहमद, डॉ सरवर आलम नदवी, डॉ मुहम्मद सादिक हुसैन, डॉ मसूद अहमद काजमी, डॉ मुहम्मद मिन्हाज-उद-दीन, मौलाना मुहम्मद आरिफ हुसैन और अन्य के नाम उल्लेखनीय हैं.