सक्सेना के खिलाफ मानहानि मामले में दिल्ली की अदालत ने कहा कि पाटकर एक साल की probation में रहेंगी

Story by  रावी | Published by  [email protected] | Date 08-04-2025
Patkar to be on one-year probation in defamation case against Saxena: Delhi court
Patkar to be on one-year probation in defamation case against Saxena: Delhi court

 

नयी दिल्ली

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को राहत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को उन्हें दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में एक साल की परिवीक्षा दी, बशर्ते कि वह अच्छा आचरण करने का वादा करें.

साल 2000 में दर्ज मामले में अपनी दोषसिद्धि और पांच महीने की सजा के खिलाफ पाटकर द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने कहा कि उन्होंने पाटकर की उम्र, अपराध की गंभीरता और इस बात को ध्यान में रखा है कि उन्हें पहले कभी दोषी नहीं ठहराया गया है..

न्यायाधीश ने 70 वर्षीय पाटकर पर लगाए गए जुर्माने की राशि को भी 10 लाख रुपये से घटाकर एक लाख रुपये कर दिया.परिवीक्षा अपराधियों के साथ गैर-संस्थागत व्यवहार की एक विधि है. यह सजा का एक सशर्त निलंबन है, जिसमें दोषी को जेल भेजने के बजाय अच्छे आचरण का वादा करने पर रिहा कर दिया जाता है.

पिछले सप्ताह अदालत ने मानहानि के अपराध में उन्हें दोषी ठहराए जाने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को बरकरार रखा था.सक्सेना ने 24 नवंबर, 2000 को पाटकर द्वारा अपने खिलाफ अपमानजनक प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष के रूप में मामला दायर किया था.

पिछले साल 24 मई को, एक मजिस्ट्रेट अदालत ने पाया था कि पाटकर द्वारा सक्सेना को ‘कायर’ कहने और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने वाले बयान न केवल अपने आप में अपमानजनक थे, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणा बनाने के लिए भी गढ़े गए थे.

अदालत ने कहा था कि यह आरोप भी सक्सेना की ईमानदारी और जनसेवा पर सीधा हमला था कि वह गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए ‘गिरवी’ रख रहे थे.सजा पर बहस 30 मई को पूरी हो गई थी, जिसके बाद सजा पर फैसला 7 जून को सुरक्षित रखा गया था.

अदालत ने एक जुलाई को उन्हें पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद पाटकर ने एक सत्र अदालत में अपील दायर की.