नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह शामिल हुए। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल भी इस बैठक में मौजूद थे।
यह समीक्षा बैठक उस समय हुई जब पहलगाम में 23 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी। इसके बाद सरकार की ओर से सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक और अब शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ यह रणनीतिक विचार-विमर्श हुआ।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई भारत की राष्ट्रीय नीति का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमता और संकल्प में पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की प्रतिक्रिया कब, कैसे और कहां होगी—इसका फैसला करने के लिए सेनाओं को पूरी "ऑपरेशनल फ्रीडम" (परिचालन स्वतंत्रता) दी जा रही है।
इससे पहले सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री से उनके आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की थी। यह मुलाकात सीडीएस जनरल अनिल चौहान द्वारा लिए गए कुछ रणनीतिक निर्णयों की जानकारी साझा किए जाने के बाद हुई थी।
सरकार ने हमले के पीछे मौजूद आतंकियों और उनके साजिशकर्ताओं को कड़ी सज़ा देने का वादा किया है। इसके साथ ही केंद्र ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी, जिसमें सभी विपक्षी दलों ने एक स्वर में सरकार के किसी भी निर्णायक कदम का समर्थन करने की बात कही।
सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में इस आतंकी हमले के संभावित सीमा-पार संबंधों पर भी प्रकाश डाला गया। यह भी कहा गया कि हमला ऐसे समय हुआ जब जम्मू-कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव कराए जा रहे हैं और राज्य विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
सरकार ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए सिंधु जल संधि को स्थगित करने सहित कई ठोस कदम उठाने की घोषणा की है। यह कदम सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने वाले तत्वों के खिलाफ भारत की दृढ़ नीति का संकेत माना जा रहा है।