Official Language Diamond Jubilee and Fourth All India Official Language Conference
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा दिल्ली स्थित भारत मण्डपम में राजभाषा हीरक जयंती समारोह और चतुर्थ अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर मंच पर उनके साथ उपस्थित थे राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बंडी संजय कुमार।
साथ ही उपस्थित थे दक्षिण भारत के दो हिन्दी विद्वान प्रोफ. एम गोविन्दराजन और प्रोफ. आर एस सर्राजु तथा उत्तर भारत के हिन्दी विद्वान प्रोफ. सूर्यप्रसाद दीक्षित और राष्ट्र प्रेम के प्रख्यात कवि डॉ. हरिओम पंवार।
स्वागत संबोधन में राजभाषा विभाग की सचिव अंशुली आर्या ने कहा कि राजभाषा विभाग और यह आयोजन प्रधानमंत्री के पाँच प्रण के दो संकल्पों से प्रेरित हैं, ग़ुलामी की हर सोच से मुक्ति और विरासत पर गर्व।
मंचासीन अतिथियों द्वारा राजभाषा विभाग की हीरक जयंती विशेषांक स्मारिका का लोकार्पण किया गया और उसके बाद हीरक जयंती स्मारक डाक टिकट और स्मारक सिक्के का भी लोकार्पण किया गया।
दक्षिण भारत के समर्पित हिंदी विद्वान प्रो. एम गोविंदराजन ने कहा हम हिंदी का नाम रोशन करेंगे। जब तक भारतीय भाषाएं साथ नहीं आयेंगी हिंदी का उत्थान असंभव है। प्रो. आर एस सर्राजू ने कहा हिन्दी हमारे भविष्य की भाषा है।
डॉ. हरि ओम पंवार ने कहा कि 75 वर्ष हिंदी को राजभाषा बने हो गये हैं लेकिन हिन्दी में क्रांति तभी आएगी जब सुप्रीम कोर्ट के जज हिंदी में फ़ैसला देना शुरू करेंगे।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी ने कहा कि भारतीय भाषा अनुभाग एक ऐतिहासिक पहल है। महात्मा गांधी ने कहा था कि हिंदी बड़ी बहन है बाक़ी भाषाएँ छोटी बहनें हैं किंतु इनके समन्वय का काम 2014 के बाद ही शुरू हुआ है। 2014 के बाद दुनिया में हिंदी को नई पहचान मिली है।
नीट परीक्षा अन्य भारतीय भाषाओं में होने लगी है। राजभाषा विभाग द्वारा किए गए प्रयास अद्भुत ढंग से भाषायी समन्वय को सामने लायेंगे। भाषा के माध्यम से एक बड़ा बदलाव हम देश में देख रहे हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषा अनुभाग राजभाषा विभाग का पूरक अनुभाग होगा। राजभाषा का प्रचार तब तक नहीं हो सकता जब तक अन्य भाषाओं से उसका संबंध नहीं बनेगा।
भारतीय भाषाओं की हिंदी से कभी स्पर्धा नहीं हो सकती। हिंदी सभी की सखी और अन्य भारतीय भाषाओं उसकी पूरक हैं।
भारतीय भाषा अनुभाग के माध्यम से हिन्दी और अन्य भाषाओं के बीच का संबंध सुदृढ़ होगा यह समय की ज़रूरत है।
स्वराज व स्वधर्म स्वभाषा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा जो देश जो प्रजा अपनी भाषा की रक्षा नहीं कर सकती वह अपने इतिहास अपने साहित्य अपनी संस्कृति से कट जाता है, वह आगे नहीं बढ़ सकता।
ज़रूरी है कि आज़ादी के 75 साल बाद हम अपनी भाषाओं के बीच समन्वय स्थापित करें। तो आज का दिन सभी भारतीय भाषाओं के संबंधों का दिन है राजभाषा को संपर्क भाषा बनाने का दिन है।
माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी ने कहा देश संस्कृति से बना है और हमारी संस्कृति भाषाओं से बनी है। युवा जनों से उन्होंने अनुरोध किया कि वह अपना काम अपनी भाषा में करें।
मातृभाषाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नयी शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा को इसी दृष्टि से महत्व दिया है कि मातृभाषा में शिक्षा बहुत ज़रूरी है।
गृह मंत्री जी ने कहा कि भाषा को बस माँ ही बचा सकती है आने वाला समय भारत की भाषाओं का है और राजभाषा विभाग ने हिंदी को लचीली और स्वीकृत बनाने का जो काम किया है वह सराहनीय हैं।
राजभाषा विभाग द्वारा तैयार किए गए हिन्दी शब्द सिंधु का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह विश्व का सबसे विशाल शब्दकोश बन जाएगा।